Horror story

1) https://youtu.be/gmIjNmNzWUQ?si=dZJKNCKK6dxcj--k

दोस्तों आज का वीडियो कुछ खास होने वाला है क्योंकि आपके पास मौका है iPhone 16 जीतने का वो भी सिर्फ ₹1 में जानने के लिए वीडियो को एंड तक जरूर देखना छलावे की रात ट्रेन मुंबई से दिल्ली के लिए रवाना हो गई थी पर काशी के मां-बाप को नहीं पता था कि उन्हें एक रात जयपुर में भी बितानी पड़ेगी जो शायद उनकी जिंदगी की सबसे भयानक रात होगी यह बात तब की है जब 14 साल का काशी मुंबई में अपनी फैमिली के साथ रहता था काशी के मां-बाप रमा और संजीव दोनों दिल्ली के रहने वाले थे और वो दोनों शादी के बाद काम के सिलसिले में मुंबई शिफ्ट हो गए थे काशी दिल्ली बस एक ही बार गया था जब वो 5 साल का था बहुत सालों बाद काशी के पापा ने पूरी फैमिली के साथ एक ट्रिप प्लान की वो अपने बेटे को दूसरी बार दिल्ली ले जाना चाहते थे ताकि वह अपने दादा-दादी का घर देख पाए मुंबई से ट्रेन रवाना हो चुकी थी काशी मुस्कुराते हुए खिड़की के बाहर अंधेरे में झांक रहा था उसकी मां रमा उसके पास ही सो रही थी सोते हुए रमा को एक सपना आया अपने सपने में रमा को अपना छोटा बेटा नितिन दिखा यह बात बहुत अजीब थी क्योंकि अपने छोटे बेटे नितिन को याद करना रमा बहुत पहले ही छोड़ चुकी थी चलती ट्रेन में सो रही रमा के माथे से पसीना बहने लगा और एकदम से उसकी आंख खुल गई काशी के पापा संजीव ने जब अपनी बीवी रमा को देखा तो वो बहुत घबराई हुई लग रही थी संजीव ने पूछा कि उसे अचानक क्या हो गया है पर रमा ने किसी को कुछ नहीं बताया और चुपचाप खिड़की की तरफ मुंह करके बैठ गई कुछ ही देर में ट्रेन जयपुर स्टेशन पर रुक गई लेकिन ट्रेन में कुछ टेक्निकल परेशानी आ गई थी जिसकी वजह से सारे पैसेंजर्स को जयपुर में ही उतरना पड़ा जिनमें काशी और उसकी फैमिली भी थी काशी के पापा संजीव ने प्लान किया कि वो आज रात जयपुर में ही रुक जाएंगे और कल सुबह पहली ट्रेन से दिल्ली के लिए निकल जाएंगे रात के करीब 12:00 बज चुके थे और बहुत अंधेरा हो चुका था काशी के पापा ने रेलवे स्टेशन के पास ही एक होटल ले लिया ऊपर चलकर जैसे ही काशी ने रूम के अंदर कदम रखा तो उसके सर में एक बहुत जोर का चुभने वाला दर्द शुरू हो गया काशी ने सोचा कि ये मामूली सा सर दर्द होगा और इसलिए अपनी मां को बिना बताए वो बिस्तर पर सोने के लिए लेट गया काशी और उसकी मां रमा एक रूम में सो गए और उसके पापा दूसरे रूम में लेकिन रमा को नींद ही नहीं आ रही थी वो पूरे टाइम अपने छोटे बेटे नितिन के बारे में ही सोचती रही जब काशी 5 साल का था तब उसकी फैमिली में उसके छोटे भाई का जन्म हुआ था जिसका नाम नितिन था लेकिन नितिन के साथ एक बहुत बुरा हादसा हुआ था 5 साल का काशी और करीबन एक साल का नितिन अपने मां-बाप संजीव और रमा के साथ ऐसे ही ट्रेन से एक बार जयपुर जा रहे थे काशी के पापा संजीव ने जयपुर से वापस लौटते हुए छोटे से नितिन को पूरे टाइम अपने हाथ में ही पकड़ रखा था रात में करीब 2:30 बजे 2 मिनट के लिए संजीव की आंख लग गई ट्रेन के छोटे से झटके से जब संजीव की आंख खुली तो नितिन उनके हाथ में नहीं था यह देखकर संजीव ने जल्दी से रमा को नींद से उठाया और उसे सब कुछ बताया फिर दोनों तुरंत नितिन को पूरी ट्रेन में ढूंढने लगे वो अपनी आंखों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं कर पाए जब उन्होंने नितिन को ट्रेन के खुले हुए गेट के पास बैठा हुआ देखा किसी को कुछ पता नहीं था कि वो वहां कैसे पहुंचा रमा और संजीव का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और वो लोग जैसे ही नितिन की तरफ आगे बढ़े ट्रेन में एक और झटका लगा और नितिन ट्रेन के बाहर अंधेरे में गिर कर यहीं गायब हो गया रमा की यह देखकर चीख निकल गई दोस्तों अब मैं आपको बताता हूं कि आप सिर्फ ₹1 में iPhone 16 कैसे जीत सकते हैं जैसे आप जानते ही हैं 29th मार्च को Tata IPL मैच है गुजरात और मुंबई के बीच आपको बस मैच शुरू होने से पहले डिस्क्रिप्शन और पिन कमेंट में दी गई लिंक से My 11 सर्कल एप डाउनलोड करके उस पर अपनी टीम बनानी है यह देखो कैसे दिल्ली के जय कुमार प्रसाद ने Thar जी है तो आप iPhone तो जीत ही सकते हो गिव अवे कॉन्टेस्ट को ज्वाइन करो और जीतो ब्रांड न्यू iPhone 16 और इस कॉन्टेस्ट की फीस है सिर्फ ₹1 और यह कॉन्टेस्ट सिर्फ खूनी मंडे के सब्सक्राइबर्स के लिए एक्सक्लूसिव है और गुजरात वर्सेस मुंबई मैच के लिए ही वैलिड है सिर्फ इतना ही नहीं मेगा कॉन्टेस्ट में पार्ट लेकर आप जीत सकते हैं ₹3 करोड़ और एक Thar वो भी हर दिन डिस्क्रिप्शन में दिए हुए लिंक से ऐप डाउनलोड करो और यूज करो हमारा कूपन कोड एमईसी एनिबल और आपको डिपॉजिट करते ही मिलेगा 20% एक्स्ट्रा कैश मैंने तो अपनी टीम बना ली है आप भी गुजरात और मुंबई के मैच के लिए माय 11 सर्कल पे अपनी टीम बना लो उन्होंने फौरन चेन खींच कर ट्रेन रोकी और बाहर निकल कर नितिन को ढूंढने लगे लेकिन वो कहीं नहीं मिला काशी उस समय बहुत छोटा था और उसके मां-बाप ने नितिन के बारे में उसे कुछ नहीं बताया था साल बीते और काशी को नितिन के बारे में कुछ भी याद नहीं रहा यही वजह थी कि काशी को अपने छोटे भाई के बारे में कुछ नहीं पता था यह सब सोचते-सचते रमा की आंखों में आंसू आने लगे थे तभी उसे अपने बिस्तर के नीचे कुछ हिलता हुआ महसूस हुआ वो चुपचाप बिना हिले पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि उसकी नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर गई रात के 3:30 बज रहे थे एकदम से होटल के रूम का टेंपरेचर गिरने लगा और रूम में बहुत तेज ठंड हो गई जबकि बाहर गर्मी का मौसम था रमा को जयपुर की गर्मी में तेज ठंड लग रही थी रमा को कुछ बहुत अजीब लग रहा था तभी रमा की पीठ के पीछे से एक आवाज आई मां मां पीछे मुड़कर मुझे देखो ना मैं हूं आपका नितिन रमा के कान में कोई बहुत धीरे-धीरे उसे पुकार रहा था और पीछे मुड़ने के लिए बोल रहा था वो आवाज सुनकर रमा की रूह कांप गई और डर के मारे रमा एक ही करवट में लेटी रही रमा को ऐसा लगा कि जैसे उसका छोटा बेटा नितिन वाकई उसे पुकार रहा है वो मुड़ने ही वाली थी पर रुक गई रमा को कहीं से याद आया कि जब कोई आत्मा पुकारती है तो पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए कुछ देर तक आवाजें उसे यूं ही पुकारती रही पर कुछ मिनटों बाद वो अपने आप बंद हो गई ठंड भी अब धीरे-धीरे कम हो गई थी और उनके रूम का टेंपरेचर भी पहले की तरह नॉर्मल हो गया था जब चीजें ठीक हुई तो काशी की मां ने बड़ी हिम्मत करके पीछे मुड़कर देखा तो उसे वहां कोई नहीं दिखा कोई था तो बस काशी रमा ने देखा कि काशी का मुंह खुला हुआ है और उसकी आंखें ऊपर छत की तरफ देखे जा रही हैं ऐसा लग रहा था कि मानो काशी का मुंह अटक गया हो रमा ने काशी के माथे पर हाथ रख के देखा तो वो बुरी तरह तप रहा था काशी को बहुत तेज बुखार था रमा ने काशी को दवाई खिलाकर उसके माथे पर गीली पट्टियां रखी लेकिन उसका बुखार उतर ही नहीं रहा था फिर रमा ने दूसरे रूम में लेटे संजीव को उठाया और उसे सब बताया जब रमा और संजीव वापस कमरे में आए तो उन्होंने देखा कि काशी जोरों से कपकपा रहा है ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे बोरे पड़ रहे हो अचानक से काशी की आंखें सफेद पड़ गई और वो हवा में ऊपर झूलने लगा और तभी किसी बहुत ही छोटे बच्चे की हंसने की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी कमरे की सारी लाइट्स जलबुझ करने लगी वो लाइट्स भी जिन्हें कभी ऑन किया ही नहीं गया था रमा और संजीव को कुछ समझ नहीं आ रहा था संजीव जल्दी से होटल स्टाफ को चीखते हुए मदद के लिए बुलाने लगा जैसे ही होटल का स्टाफ वहां आया वैसे ही काशी बेजान होकर बिस्तर पर गिर पड़ा और सारी लाइट्स ने भी जलबूझ करना बंद कर दिया जब रमा काशी के पास गई तो काशी की आंखें बंद थी वो बिल्कुल भी रिएक्ट नहीं कर रहा था इसलिए वो लोग तुरंत उसे पास के हॉस्पिटल ले जाने लगे लेकिन जैसे ही काशी होटल से बाहर निकला उसकी आंखें अपने आप खुल गई और उसका शरीर भी अब पहले की तरह तप नहीं रहा था काशी को ज्यादा कुछ तो याद नहीं था लेकिन उसने बताया कि उसे एक छोटा बच्चा अपने रूम की खिड़की पर बैठा दिखाई दिया था उस रात रमा और संजीव काशी की यह बात सुनकर बहुत ज्यादा घबरा गए थे किसी तरह उन्होंने पास के हॉस्पिटल में ही वो रात काटी और सुबह होते ही वो बस से दिल्ली के लिए निकल गए काशी अब बिल्कुल ठीक था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे कभी कुछ हुआ ही नहीं था दिल्ली पहुंचने पर संजीव काशी और रमा एक पंडित के पास गए और उन्होंने पूरी कहानी उन पंडित को बताई पंडित ने काशी के मां-बाप को बताया कि कल जो भी रूम में आकर रमा को पुकार रहा था वो उनका छोटा बेटा नितिन नहीं था बल्कि कोई और आत्मा थी जो उनकी दुख भरी याद का फायदा उठाकर अपना काम करवाना चाहती थी उन्होंने काशी के सर पर हाथ फेर कर मुस्कुराते हुए बोला कि अब उन्हें कोई परेशान करने नहीं आएगा पंडित ने आखिर में काशी के मां-बाप को अलग से भी बोला कि उनके छोटे बेटे नितिन की आत्मा अब भी उनके साथ है और हमेशा उन तीनों की रक्षा करती है दोस्तों डिस्क्रिप्शन और पिन कमेंट में दिए हुए लिंक से My 11 सर्कल एप्लीकेशन डाउनलोड करना ना भूलें जिसमें आप जीत सकते हो iPhone 16 और मेगा कॉन्टेस्ट में 3 करोड़ तक जीत सकते हो साथ ही साथ डिपॉजिट पर 20% एक्स्ट्रा कॅश मैंने तो अपनी टीम बना ली है आप भी बनाओ और जीतो ढेर सारे प्राइिस दोस्तों कैसी लगी आपको यह कहानी अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो जल्दी से हमारे चैनल खूनी मंडे को सब्सक्राइब कर दीजिए और हां बेल आइकन दबाना मत भूलना

2) https://youtu.be/O7deSLPj8eQ?si=Bn2sCHkDX27d3Etb

गाइस आज आगे बढ़ने से पहले हमारी आपसे दिल से एक रिक्वेस्ट है हम बहुत मेहनत करके आपके लिए एनिमेटेड हॉरर स्टोरीज बना रहे हैं और हमारे कुछ व्यूवर्स ऐसे भी हैं जिन्होंने अभी तक हमें सब्सक्राइब नहीं किया है गाइस अब और देरी नहीं बस सब्सक्राइब बटन पर क्लिक करना है एकदम फ्री है चलो साथ करते हैं थ्र टू वन डन कर दिया ना पक्का ना चलिए है शुरू करते हैं आज की कहानी एग्जाम डे इन हंटेड स्कूल 12थ क्लास में पढ़ रहे ऋषि के लिए आज एक बहुत बड़ा दिन था ऋषि राजस्थान के एक छोटे से शहर से था और पिछले दो सालों से अपने घर से दूर जयपुर में वह अपनी इंजीनियरिंग की एंट्रेंस के लिए प्रिपेयर कर रहा था आज उसका एंट्रेंस एग्जाम था और वो ऑलरेडी बहुत लेट हो चुका था क्योंकि एग्जाम सेंटर भी दूर था तो ऋषि बिना देरी करते हुए सेंटर पहुंचने के लिए अपनी बाइक फुल स्पीड पर चला रहा था जैसे-जैसे शहर पीछे छूटता गया रास्ता और ज्यादा सुनसान होता गया उसका एग्जाम सेंटर था राजामल सीनियर सेकेंडरी स्कूल जैसे ही ऋषि को स्कूल की बिल्डिंग दिखाई दी उसके दिल की धड़कनें तेज हो गई ऋषि ने अपनी रिस्ट वच में टाइम देखा तो ऑलरेडी एग्जाम स्टार्ट हु हुए 5 मिनट बीत चुके थे उसने जल्दी से स्कूल के बाहर बाइक खड़ी की और गार्ड से अंदर जाने की भीख मांगने लगा लेकिन वह गार्ड बस मुस्कुराया और उसने उसको आसानी से अंदर जाने दिया अंदर जाते हुए जब ऋषि ने उसके चेहरे की तरफ देखा तो एक अजीब सी चमक उसकी आंखों में थी जैसे कोई सालों बाद वहां आया हो स्कूल के हलवे में सब कुछ नॉर्मल लग रहा था एक बड़ा सा कॉरिडोर और क्लासरूम जिनके डोर्स खुले हुए थे और स स्टूडेंट्स पहले से ही क्लासरूम में थे और उन्होंने अपना एग्जाम लिखना स्टार्ट कर दिया था ऋषि भी भागकर अपने एग्जाम हॉल में गया उसे पेपर डिस्ट्रीब्यूटर अपने आंसर्स लिखने लगा पहले 30 मिनट सब कुछ बिल्कुल नॉर्मल रहा ऋषि अपनी पूरी कंसंट्रेशन के साथ अपने आंसर्स लिख रहा था अब तक वह चार आंसर्स का जवाब दे चुका था गाड़ी में 1035 हो गए थे फिफ्थ आंसर लिखते ही जैसे ही उसकी नजर सामने खड़ी टीचर पर गई वो अचानक से घबरा गया क्योंकि वो टीचर उसे बड़े अजीब तरीके से घूर कर देख रही थी पर ऋषि ने उन पर ध्यान ना देते हुए वापस अपने एग्जाम पेपर पर लिखना शुरू कर दिया लेकिन उसे कुछ बहुत अजीब दिखा उसने देखा कि अभी-अभी जो फिफ्थ क्वेश्चन का आंसर उसने लिखा था वो आंसर शीट पर था ही नहीं आंसर शीट में अभी भी आंसर नंबर फोर ही था उसके आगे कुछ नहीं ऋषि को कुछ समझ नहीं आया उसने टाइम देखा तो घड़ी अभी भी 1035 दिखा रही थी 10 मिनट पहले भी यही टाइम था जब उसने आंसर नंबर फोर लिखा था तभी ऋषि ने महसूस किया कि एग्जाम हॉल के स्टूडेंट्स अजीब बिहेव कर रहे थे सब बिल्कुल चुप बिना एक भी आवाज के लिख रहे थे तभी एक लड़का जोर से अपनी उंगली डेस पर घिसने लगा अपनी उंगली घिसते हुए उसका एक नाखून निकल गया पर वो तब भी नहीं रु का यह देखकर ऋषि को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि जहां वह लड़का रुक ही नहीं रहा था वहीं बाकी सब यहां तक कि एग्जाम टीचर भी उस लड़के की तरफ नहीं देख रही थी तभी ऋषि को एक कोने से एक और आवाज आई उसने मुड़कर देखा तो एक लड़की बिना रुके पागलों की तरह अपने एग्जाम बोर्ड को अपने सर पर मार रही थी वहीं एक लड़का अपने पेन से अपने हाथ को चबाए जा रहा था दोस्तों आपको तो पता ही है कि इंडियन t20 लीग का जुनून फिर से छा रहा है लास्ट बॉल थ्रिलर्स अनएक्सपेक्टेड अपसेट्स लेकिन सच बोलूं हर मैच धमाकेदार नहीं होता कुछ थोड़े स्लो भी लगते हैं लेकिन स्लो मैचेस में भी एक्साइटेड रहने की मेरी एक ट्रिक है मैं अपने लिए नए-नए चैलेंज खुद क्रिएट कर लेता हूं और इसमें मेरी हेल्प करता है परि मैच इंडिया का नंबर वन स्पोर्ट्स प्रेडिक्शन प्लेटफार्म आज दिल्ली वर्सेस लखनऊ का मैच है और मैंने अपनी प्रेडिक्शन कर ली है लेकिन सिर्फ विनर गेस करना तो बोरिंग है ना परे मैच पर आप डिफरेंट प्रिडिक्शंस कर सकते हो सबसे ज्यादा रन मैक्सिमम विकेट्स और बहुत कुछ एक इवेंट चूज करो प्रेडिक्शन लगाओ और बोरिंग मैच को भी थ्रिलिंग बनाओ लिंक पिन कमेंट में है तो जल्दी से रजिस्टर करो और लो 700 पर तक का वेलकम बोनस हमारी लिंक से रजिस्टर करने पर आपको फ्री स्पिनस भी मिलेंगे तो जल्दी से लिंक को चेक आउट करो अचानक एक और लड़की जोर से रोने लगी और वह अपने बाल अपने मुंह में डालकर चबाने लगी यह सब देखकर ऋषि ने उस टीचर को आवाज लगाई लेकिन वो टीचर वहां खड़ी बड़ी अजीब तरीके से बस मुस्कुराई जा रही थी ऋषि को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उस एग्जाम हॉल में चल क्या रहा है अचानक उस एग्जाम हॉल में कहीं से धुआ आने लगा ऐसा लग रहा था जैसे किसी के सड़ते हुए मास की बू हो ऋषि ने जब धुए की तरफ देखा तो उसे दिखा कि एक लड़की की शर्ट जल रही है देखते ही देखते एक और लड़का अचानक से चिल्लाते हुए अपने हाथों से अपने आप को पागलों की तरह नोचने लगा जैसे वो जल रहा हो जिसके बाद वो रोते हुए चीखने लगा मुझे मुझे यहां से निकलने दो ऋषि ने देखा कि जो लड़की उसके ठीक सामने बैठी थी उसके हाथ अपने आप लाल हो रहे थे जैसे किसी ने उस पर तेजाब डाल दिया हो वो टीचर जो पहले नॉर्मल थी सब कुछ चुप होने को कहने लगी और तभी उसकी आंखें एकदम से सफेद पड़ गई उसने जबरदस्ती अपने हाथ से अपना मुह चीर दिया जिसे वो अपनी जलती हुई चमड़ी उतार रही हो ऋषि ने जब यह सब देखा तो डर के मारे सुन्य पड़ गया था उस टीचर का चेहरा कुछ ही पलों में पूरी तरह जल गया था और उसके चेहरे की हड्डियां दिख रही थी देखते ही देखते वहां मौजूद सारे स्टूडेंट्स ने आग पकड़ ली सारे स्टूडेंट्स दर्द से कराते हुए चिल्लाने लगे सबका शरीर जलने लगा और देखते ही देखते वो अंगारों और में बदल गए पूरे रूम में सिर्फ जलते हुए मांस की बदबू थी और धुआं ही धुआं ये सब देखकर ऋषि का रोना छोड़ गया वो उस एग्जाम हॉल से किसी भी तरह बाहर निकलना चाहता था लेकिन जैसे ही वह वहां से भागने के लिए उठा किसी ने उसका पैर पकड़ लिया जब उसने नीचे देखा तो वहां उन सभी स्टूडेंट्स की जली हुई बॉडीज पड़ी थी और उनमें से एक हाथ ने ऋषि का पैर पकड़ा हुआ था ऋषि ने किसी तरह हिम्मत जुटाई और वो अपना पैर छोड़ा के चकते हुए उस कमरे से बाहर भागा जैसे ही वह बाहर निकला ऋषि को ऐसा लगा कि उस क्लासरूम में कोई बम फूटा हो कुछ देर बाद बेहोश ऋषि उस स्कूल के एक मेल टीचर को दिखा वह एक बंद क्लासरूम के बाहर पड़ा था उसे फौरन स्कूल के मेडिकल रूम में ले जाया गया कुछ ही देर में ऋषि को होश आया और उसने उस टीचर को अपने साथ हुआ पूरा हादसा बताया और तब उस टीचर को लगा कि ऋषि एग्जाम ना देने के लिए एक मन घण कहानी बना रहा है उस टीचर ने बताया कि ऋषि कभी अपने एग्जाम रूम में गया ही नहीं और जिस रूम की वह बात कर रहा है वो पिछले कई सालों से बंद पड़ा है ऋषि को विश्वास नहीं हुआ तो वो मेडिकल रूम से निकलकर उसी रूम में वापस गया और वाकई उस क्लासरूम में सच में ताला लगा हुआ था ऋषि को लगा कि उसने शायद कोई बुरा सपना देखा है और वह मायूस होकर स्कूल से बाहर निकल ही रहा था कि उस स्कूल गार्ड ने उसे कुछ ऐसा बताया जिसे सुनकर ऋषि के होश उड़ गए उसने बताया कि कुछ साल पहले उस स्कूल के क्लासरूम में एग्जाम चल रहा था लेकिन किसी लड़के ने एग्जाम रोकने के लिए उस रूम में पटाखे फोड़ने का प्लान बनाया ताकि टीचर डर जाए और एग्जाम ना हो पर उस पटाके की वजह से क्लासरूम के पर्दों में आग लग गई और वो आग ऐसी फैली कि पूरा क्लासरूम जल के राख हो गया करीब 10:30 बजे हुए इस एक्सीडेंट में 40 स्टूडेंट्स और एक टीचर चलकर मारे गए और तब से उस स्कूल में कई लोगों ने उनकी आत्माओं को उस रूम के अंदर देखा है इसलिए उस रूम को हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है यह सब सुनने के बाद ऋषि शॉक था लेकिन उसे समझ आ गया था कि उसके साथ जो भी हुआ है वह कोई सपना नहीं था बल्कि वो उस दिन शायद मौत के मुंह से बचा हम होप करते हैं कि कभी आपके एग्जाम्स में ऐसा कुछ ना हो और आपके सारे एग्जाम्स बहुत अच्छे जाए विश यू ऑल द वेरी बेस्ट और ऐसे ही दिल दहला देने वाली स्टोरीज के लिए खूनी मंडे चैनल को सब्सक्राइब करना मत भूलना

3) https://youtu.be/KTVsRWzXQCo?si=Qn5_1u3PIogeOJrs

स्वागत है हरर की दुनिया में बोलो खूनी मंे और एंजॉय करो दिल ला देने वाली हरर स्टोरी गर्ल्स हॉस्टल निमिष की सासे चढ़ी हुई थी और वो बुरी तरह रही थी उसके बाल बिखर चुके थे वह शीशे के सामने खड़ी खुद को देखकर अपने बाल वापस बांधने की कोशिश कर रही थी पर घबराहट के मारे वह कुछ नहीं कर पा रही थी उस रात निमेशा ने पहली बार अपनी देर रात तक जगने की आदत का पछतावा किया निमिष को डर था कि कोई अभी भी उसका पीछा कर रहा है इस बात की शुरुआत तब हुई जब मनीषा और निमिषा दोनों क्लास ए में एक बोर्डिंग स्क में पढ़ते थे और हॉस्टल में रहते थे जिस बोर्डिंग स्कूल में वो लोग पढ़ रहे थे वह पढ़ाई लिखाई के लिए एक बहुत ही अच्छा स्कूल माना जाता था पर उस बोर्डिंग स्कूल के गर्ल्स हॉस्टल की कुछ अलग ही कहानी थी 5 साल पहले नाइंथ क्लास की एक सीधी साधी और पढ़ाई में होनहार लड़की की उस बोर्डिंग स्कूल के गर्ल्स हॉस्टल के फिफ्थ फ्लोर में मौत हो गई थी किसी को नहीं समझ आया था कि वो लड़की मरी तो मरी कैसे टीचर्स और पेरेंट्स बताते थे कि उस लड़की को ना तो डिप्रेशन था और ना ही कोई पढ़ाई का प्रेशर पहले सबको लगा यह मर्डर है लेकिन पुलिस को कभी कोई सबूत नहीं मिला जिसकी वजह से यह केस बंद हो गया पर साल दर साल धीरे-धीरे एक अफवा फैलने लगी कि अब उस फिफ्थ फ्लोर पर उस लड़की का भूत रहता है इसलिए फिफ्थ फ्लोर को स्कूल अथॉरिटीज ने बंद कर दिया जिसे हफ्ते में सिर्फ एक बार खोला जाता था ताकि उसकी सफाई हो सके उस सिडेंट के करीब 5 साल बाद निमेशा और मनीषा उस हॉस्टल के एक रूम में शेयरिंग में रहने लगे दोनों का रूटीन एकदम फिक्स्ड था निमेशा पूरी रात जगक पढ़ाई करती थी और सुबह 7:00 बजे मनीषा को उठाकर सो जाती थी फिर मनीषा ब्रेकफास्ट के टाइम तक पढ़ती रहती थी मनीषा चश्मा लगाती थी और उसके हाथ में उसकी मां का दिया हुआ एक काला धागा हमेशा बंदा रहता था फिफ्थ फ्लोर की कहानियों को बाकी स्टूडेंट्स की तरह वो लोग भी ज्यादा नहीं मानते थे पर फिर भी वहां कोई नहीं जाता था पर 10 दिसंबर को कुछ ऐसा हुआ जिसकी मनीषा को कोई खबर भी नहीं थी निमिषा रोज की तरह रात के 12:30 बजे रूम में बैठकर पढ़ाई कर रही थी और मनीषा दूसरी तरफ करवट लिए सो रही थी निमेशा का गला अचानक से सूखने लगा वो उठकर हॉल में कॉफी बनाने चली गई पूरे हॉल में एकदम शांति थी सब लोग या तो अपने कमरे में में थे या सो चुके थे उस हॉल में कोई नहीं था बस कॉफी मशीन के गड़गड़ा की आवाज आ रही थी पर मशीन को स्विच ऑफ करने के बाद फिर से सन्नाटा छा गया निमिष कॉफी का मग लेकर पीछे मुड़ी और उसको अचानक झटका लगा जिससे उसकी कॉफी छलक गई उसने देखा कि मनीषा उसके पीछे ही खड़ी है अंधेरा ज्यादा होने की वजह से उसकी आधी ही शक्ल निमिष को दिख पा रही थी उस रात मनीषा कुछ अलग सी दिख रही थी उसने ना तो अपना चश्मा पहना था और ना ही उसके हाथ में वो काला धागा था निवेशा ने मनीषा से पूछा कि वो इतनी जल्दी क्यों जाग गई जिसके जवाब में मनीषा ने बोला क्यों ना हम दोनों फिफ्थ फ्लोर की बालकनी पर चले ये सुनकर नीशा की आंखें चौड़ी हो गई और मुंह पर हल्की सी शरारत भरी मुस्कुराहट आ गई इससे पहले कि वह कुछ बोलती मनीषा उसका हाथ पकड़कर उसे अपने साथ ऊपर सीढ़ियों पर ले जाने लगी जब दोनों सीढ़ियां चढ़ रही थी तो बस निमिष की ही चप्पल की आवाज आ रही थी उसने नोटिस किया कि मनीषा ने चप्पल भी नहीं पहनी थी कुछ तो बहुत अजीब था उस रात उस हॉस्टल के फिफ्थ फ्लोर का दरवाजा खुला हुआ था और वो दोनों फिफ्थ फ्लोर पर चले गए व पहले इधर-उधर देखने लगे फिर कुछ मिनट बाद दोनों ने खुद को एक रूम में पाया ये उसी लड़की का रूम था जो 5 साल पहले मर चुकी थी और जिसके बारे में लोग कहते थे कि उसकी आत्मा फिफ्थ फ्लोर पर भटकती है लेकिन उस रूम के बारे में निमेशा या मनीषा दोनों ही नहीं जानते थे उस रात मौसम बहुत ठंडा था फिफ्थ फ्लोर के हलवे पर बनी खिड़कियों से ठंडी हवाएं आ रही थी और रात के अंधेरे में कोहरा जम रहा था उसी बीच निशा की नजरें दीवार पर पड़ी जिस पर किसी ने अपने नाखून से बड़ा बड़ा 10थ दिसंबर लिखा हुआ था दोनों बालकनी पर खड़े होकर नीचे देखने लगे मनीषा बहुत देर से चुपचाप घूम रही थी निमिषा को बहुत जोरों से ठंड लग रही थी तो उसने मनीषा को नीचे चलने को कहा लेकिन मनीषा ने निमेशा की बात पर कोई ध्यान ही नहीं दिया उसने फिर से मनीषा को पुकारने की कोशिश की और तब पहली बार मनीषा ने उसकी आंखों में आंखें डालकर देखा निमेशा के तो जैसे होश ही उड़ गए थे मनीषा की आंखें पूरी सफेद हो चुकी थी वो बड़ी धीमी आवाज में बोली जंप यानी कूदो मशा को कुछ समझ नहीं आया कि मनीषा उसे नीचे कूदने को क्यों कह रही है उसके चेहरे के सारे रंग उड़ गए जैसे-जैसे एक एक सेकंड बीत रहा था वैसे-वैसे मनीषा की आवाज और भारी हो रही थी वो निमेशा की आंखों में देखकर बार-बार बोलने लगी जमप जमप निमेशा का चेहरा पीला पड़ गया और उसके हाथ पैर एक ही पोजीशन में अटक चुके थे मानो जैसे वो हिप्नोटाइज हो रही थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे अगर वह जंप नहीं करती तो मनीशा उसे धक्का देकर नीचे गिरा देगी निमिष की आंखें बंद होने लगी थी और वह खुद अपने बाल खोलने लगी उसके बिखरे बाल हवा में पानी की तरह पहने लगे निमिषा धीरे-धीरे मनीषा के वश में आने लगी थी लेकिन तभी अचानक नीचे वाले फ्लोर पर कुछ धम से आवाज और निमेशा होश में आई उसने किसी तरह हिम्मत जुटाई और मनीषा को पीछे धक्का देकर नीचे भागी भागते भागते उसको अपने पीछे बहुत भयानक दहाड़ सुनाई दी पर उसने पीछे भूल कर भी मुड़कर नहीं देखा वह जल्दी से अपने रूम के अंदर घुसी और दरवाजा कसके से बंद कर लिया उसने तब जो देखा वो देखकर वो और चौक उठी उसने देखा कि मनीषा उसी करवट में बिस्तर पर आराम से सो रही थी जिसमें वो उसे छोड़कर गई थी निमेशा का रंग और पीला पड़ गया उसने मनीष को घबराते हुए उठाया मनीष ने उसका पीला मुंह और लाल आंख देखकर डरी हुई नि मिशा को गले लगा लिया पर उसके पूछने पर निशा ने उसे कुछ भी नहीं बताया वह कुछ बताने की हालत में थी ही नहीं उस रात निमेशा ने अपने बाथरूम के शीशे के सामने अपना मुंह धोया और बाल बांधकर सो गई मनीशा कुछ समझ नहीं पा रही थी उस दिन से निशा रात में सोने लगी और अपने रूममेट को इग्नोर करने लगी जब भी मनीषा रूम में बैठकर पढ़ाई स्टार्ट करती उसे एहसास होता कि जैसे कोई उसे घूर रहा है और वह अक्सर निमेशा ही होती परेशान होकर मनीषा ने उससे दोबारा पूछ लिया कि उस रात क्या हुआ था आखिरकार निमेशा ने मनीषा को उस रात के बारे में सब कुछ सच सच बता दिया सब कुछ सुनने के बाद मनीषा का दिमाग जोर से चलने लगा और उसे निशा की कहानी पर पूरा भरोसा हो गया क्योंकि मनीषा को यह बात पता थी कि 5 साल पहले एक लड़की की सेम डेट पर मौत हुई थी 10 दिसंबर मतलब जो भी किस्से कहानी और अफवा मनीष और निमेशा सुनते आ रहे थे वह सब सच थी वाकई में फिफ्थ फ्लोर पर उस लड़की का भूत था उन दोनों ने उस दिन के बाद से फिफ्थ फ्लोर के बारे में बात करना ही छोड़ दिया लेकिन वो आज तक उस दिल दहला देने वाले किस्से को नहीं भूल पाए हैं अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो हमारा चैनल खूनी मंडे सब्सक्राइब करना बिल्कुल मत भूलिए

4) https://youtu.be/TlHfx1GRRJY?si=kTxFvrgNHhu8biaj

स्वागत है हरर की दुनिया में बोलो खूनी मंे और एंजॉय करो दिल ला देने वाली हरर स्टोरी मेरठ जीबी ब्लॉक हंटेड हाउस हरर यह कहानी है इंडिया के से मशहूर भूत बंगलों में से एक मेरठ जीबी ब्लॉक की संजय सिंह जो मेरठ से 200 किलोमीटर दूर बसे एक छोटे से गांव का रहने वाला था अपनी मां को लेकर मेरठ के जीपी ब्लॉक के बाहर एक स्टाफ क्वार्टर में रहने आया था उसका जीपी ब्लॉक के चौकीदार की तरह पहला दिन ही था जब उसके साथ यह घटना घटी संजय नौकरी मिलने के बाद बहुत खुश था पर उसे यह नहीं मालूम था कि जिस जगह की वह चौकीदारी करने वाला था इंडिया की सबसे भूतिया जगहों में से एक कही जाती है संजय की नई नौकरी लगने के कारण उसकी मां उस रात उसकी मनपसंद खाने की चीजें बना रही थी संजय जीबी ब्लॉक के एरिया के बाहर से टॉर्च मारता हुआ राउंड लेकर वापस अपने क्वार्टर में खाना खाने घर आ रहा था तभी अपने घर से थोड़ी दूर एक नलिके के पास खड़े हुए अपनी मां को उसने किसी को कहते हुए सुना इतनी रात को तुम्हारा ऐसे इलाके में होना ठीक नहीं है जब उसने वहां पहुंचकर अपनी मां से पूछा वह किससे बात कर रही थी तो उन्होंने उसे बताया कि वह खाने के लिए पानी भर रही थी और तभी उन्हें आसपास की झाड़ियों से जीपी ब्लॉक की तरफ जाती हुई लाल साड़ी में एक लड़की दिखी जब उन्होंने उस लड़की को वहां से जाने के लिए मना किया तो उस लड़की ने उनकी बात को अनसुना कर दिया और भागकर जीपी ब्लॉक के अंदर चली गई संजय और उसकी मां दोनों को उस औरत का रात के इस समय झाड़ियों और जंगल से घिरे जीपी ब्लॉक के अंदर घुसना ठीक नहीं लग रहा था और इस डर से कि कहीं पहले दिन ही जीपी ब्लॉक में कुछ अनहोनी ना हो जाए संजय वापस जीपी ब्लॉक के अंदर जाकर उस औरत को ढूंढने लगा रात के अंधेरे में जंगल और झाड़ियों से घिरे होने के कारण संजय को बस उतना ही दिख रहा था जितना उसकी टॉर्च की रोशनी दिखा पा रही थी जीपी ब्लॉक का बंगला तीन हिस्सों में बटा हुआ था दिन में वहां जितनी शांति लग रही थी रात के अंधेरे में वही खामोशी अब और ज्यादा भयानक लग रही थी संजय ने सोचा कि उसे जीपी ब्लॉक के उन तीन हिस्सों में एक एक करके जाना चाहिए अपने हाथ में लाठी लिए और टॉर्च के सहारे संजय जब पहले हिस्से में घुसा तो उसके पूरे शरीर में उसको एक रूह चीर देने वाली ठंड महसूस हुई यह बहुत अजीब था क्योंकि तब गर्मियों का मौसम चल रहा था और बिल्डिंग के अंदर इतनी तेज ठंड का होना बिल्कुल भी नॉर्मल नहीं था फिर भी संजय ने हर जगह टॉर्च मार कर देखा पर उसे कोई लड़की दिखाई नहीं दी पर उसे वहां ढेर सारे बालों के गुच्छे मिले उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह बालों के गुच्छे वहां कहां से आए तभी उस बिल्डिंग के अंदर एक कोने से दो लाल आंखें उसे घूरती दिखी लेकिन जब वह उसके पास गया तो वो अंधेरे में कहीं गायब हो गई संजय ने पूरी बिल्डिंग छान मारी लेकिन उसे कुछ भी नहीं मिला पर उसे हर वक्त वहां पर किसी की मौजूदगी महसूस हो रही थी संजय उस लड़की को ढूंढता हुआ अब जीपी ब्लॉक के अगले हिस्से में घुस गया दूसरी बिल्डिंग के पास जाते-जाते उसे ऐसी बदबू आने लगी जैसे कोई जानवर वहां कई सालों से मरा पड़ा हो फिर भी वह उस लड़की के बारे में सोचते हुए घर के उस हिस्से में घुसा पर वहां उसे कोई भी नहीं दिखा लेकिन जब वो उस घर से बाहर निकलते हुए इधर-उधर टॉर्च मारते हुए रास्ता ढूंढ रहा था तो उसे उस हिस्से की टूटी हुई दीवार के छेद से दोस्तों हमारे पॉडकास्ट की नई सीरीज बिल्कुल भी मिस मत करना जिसमें हमने डायन की रियल लाइफ स्टोरीज डिस्कस करी हैं तो इस वीडियो के बाद हमारे पॉडकास्ट को देखना मत भूलना चार लोग दिखे उन्होंने ब्रिटिश ऑफिसर्स की यूनिफॉर्म पहनी हुई थी और वह शराब पीते हुए गप्पे मार रहे थे उन्हें देखते ही उसने चिल्लाकर उन्हें वहां से जाने को कहा पर उन चारों ने उसकी बात को जिसे बिल्कुल अनसुना सा कर दिया संजय को मालूम था कि अक्सर ऐसे शराबी ही पुरानी जगहों पर आकर हल्ला करते हैं तो वह दूसरे हिस्से से भागकर तीसरे हिस्से के उसी फ्लोर पर चला गया जहां पर वह लोग बैठे थे लेकिन वह जैसे ही वहां पहुंचा वहां पर उन चारों में से कोई नहीं था तभी उस तीसरे हिस्से के ऊपर वाले फ्लोर से उन चारों लोगों की जोर-जोर से हंसने की आवाज आई संजय भागकर उस बिल्डिंग के सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर गया जहां उसे वहीं चार लड़के हंसते हुए मिले उन चारों लड़कों को वहां देखकर संजय फिर से उन पर चिल्लाया और वह चारों शराब पीते-पीते और जोर से हंसने लगे जब संजय के कई बार कहने पर भी वह लोग वहां से नहीं गए तो संजय ने उनमें से एक को अपनी लाठी से मारा पर वह लाठी उस लड़के के आरपार चली गई व चारों लड़के संजय की तरफ मुड़े और संजय ने देखा कि उन चारों के चेहरे बुरी तरह से गले हुए हैं और उन चारों की आंखें थी ही नहीं घबराया हुआ संजय वहां से भागा और वोह लड़के बहुत ही डरावने तरीके से हंसने लगे संजय वहां से भागता हुआ दूसरी तरफ से निकला जब उसने जीपी ब्लॉक के पहले हिस्से के पास से एक लड़की को छत के ऊपर चढ़ते हुए देखा जो वहां रुककर अपने बालों को कंगी करने लगी और संजय को बहुत ही भयानक तरीके से देखने लगी उसकी आंखों में वही लाल चमक थी जो कुछ समय पहले संजय ने अंधेरे में देखी थी संजय को वह सब देखकर कुछ समझ नहीं आया और वह अपनी जान बचाने के लिए वहां से और तेजी से अपने क्वाटर की तरफ भागा लेकिन वह भागते भागते अचानक रुक गया क्योंकि उसके ठीक सामने एक और औरत खड़ी थी जिसने लाल साड़ी पहनी हुई थी संजय को लगा कि ये वही लड़की है जिसे संजय की मां ने देखा था लेकिन जब उसने उस लड़की को पुकारा और जब वो लड़की मुड़ी तो संजय की रूह काप उठी उस औरत का चेहरा बेहद डरावना था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कोई चुड़ैल हो संजय को देखते ही उस औरत ने उसे बहुत जोर से धक्का दिया जिसकी वजह से उसका सर पास पड़े पत्थर पर लगा संजय को ऐसा लगा कि जैसे उस औरत का हाथ नहीं बल्कि कोई जलता हुआ लोहा था संजय दर्द में बहुत जोर से चिल्लाया और उसी दर्द में कराते हुए संजय ने देखा कि वो लाल साड़ी वाली औरत हवा में उड़ती हुई जीपी ब्लॉक के अंदर जाते जाते कहीं गायब हो गई उसकी मां संजय की चीख सुनकर उसके पास आई तो संजय बहुत बुरी तरह से डर से कापता हुआ जीपी ब्लॉक की तरफ देख रहा था तभी संजय ने अपने कान में एक औरत की आवाज सुनी जो जीपी ब्लॉक के अंदर से सिर्फ संजय को सुनाई दे रही थी और जो उसे कह रही थी मैं हमेशा यहीं रहूंगी और अगर तू और तेरी मां यहां फिर से आए तो मैं तुम दोनों को जान से मार दूंगी संजय की मां भी घबराई हुई उसे स्टाफ क्वार्टर के अंदर ले गई तब उसकी मां ने देखा कि संजय की छाती पर किसी इंसान के हाथ के निशान थे उस दिन के बाद संजय ने वो नौकरी हमेशा के लिए छोड़ दी बाद में उसे पता चला कि जीबी ब्लॉक में पहले ब्रिटिश आर्मी की बिल्डिंग्स थी और वहां पर अक्सर लोगों के साथ ऐसी ही चीजें हुई हैं कई लोगों को वहां ब्रिटिश आर्मी के टाइम के ऑफिसर्स दिखे हैं और कई लोगों को वो लाल साड़ी वाली औरत संजय समझ गया था कि उस दिन वह मेरठ के भूत बंगले से बालबाल बचा मेरठ जीपी ब्लॉक के बारे में कई अफवाह कई लोग उसे इंडिया का सबसे हंटेड भूत बंगला कहते हैं तो कई कहते हैं कि यह सब एक झूठ है हमें कमेंट्स में जरूर बताइए दोस्तों जल्दी से एंड स्क्रीन पर क्लिक करो और चेक आउट करो हमारे पॉडकास्ट का एक बहुत ही इंटरेस्टिंग एपिसोड दास्ताने डायन और अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो हमारा चैनल खून मंडे सब्सक्राइब करना बिल्कुल मत भूलिए

5) https://youtu.be/C71zUziexx4?si=UDqLMl_evLquc2xC

गाइस आज आगे बढ़ने से पहले हमारी आपसे दिल से एक रिक्वेस्ट है हम बहुत मेहनत करके आपके लिए एनिमेटेड हॉरर स्टोरीज बना रहे हैं और हमारे कुछ व्यूवर्स ऐसे भी हैं जिन्होंने अभी तक हमें सब्सक्राइब नहीं किया है गाइस अब और देरी नहीं बस सब्सक्राइब बटन पर क्लिक करना है एकदम फ्री है चलो साथ करते हैं थ्र टू वन डन कर दिया ना पक्का ना चलिए शुरू करते हैं आज की कहानी ध मंकी हम सबके बचपन की सबसे सुहानी यादें शायद हमारे खिलौनों की होती हैं खिलौने कभी हमें हंसाते हैं कभी रुला देते हैं और उमर के साथ-साथ बस एक किस्सा बन के रह जाते हैं पर क्या आपने कभी यह सोचा है कि शायद आपका कोई खिलौना कुछ राज छुपाए बैठा है कुछ ऐसे राज जो सिर्फ समय के साथ बाहर आते हैं शायद डेमी ने भी ऐसा कुछ कभी नहीं सोचा था लंदन की गलियों में पैदा हुई डेमी 25 साल की यंग इंडिपेंडेंट लड़की थी जो एक मार्केटिंग फर्म में काम करती थी उसका घर पुराने लंडन की एक बिल्डिंग के तीसरे मंजिल पर था एक पुराना लेकिन मजबूत मकान इस घर में डेमी की फैमिली तब शिफ्ट हुई थी जब डेमी केवल 11 साल की थी जब वह अपने नए कमरे में गई तो उसे एक छोटा सा बंदर का खिलौना अपने बाकी खिलौनों के साथ दिखा एक पुराना चाबी वाला बंदर जिसके हाथ में दो ढंडिया और एक छोटा सा ड्रम यानी एक छोटा सा झुनझुना था उसकी नीली आंखें शीशे जैसी चमकदार थी और चेहरे पर सिर्फ एक बड़ी सी मुस्कुराहट 11 साल की डेमी के मन में उस बंदर को देखकर सिर्फ एक्साइटमेंट जगी उसे लगा उसके पापा उस के लिए यह नया खिलौना लाए हैं उसने उस बंदर को अपने हाथों में लिया और अपने पापा के पास जाकर उनके पैरों से लिपट गई उसके पापा ने उसे प्यार से गोदी में उठाया तो वह पापा के गालों पर एक किस देकर बोली नए खिलौने के लिए थैंक यू सो मच पापा उसके पापा ने कंफ्यूजन से डेमी और उस बंदर को देखा पर तब शिफ्टिंग की अफरातफरी ने उनका ध्यान खींच लिया उन्होंने डेमी को कहा बेटा जाके अपने कमरे में खेलो यहां सब फर्नीचर इधर-उधर हो रहा है आपको चोट लग जाएगी छोटी सी डेमी अपने कमरे में जाकर उस बंदर के साथ खेलने लगी उसने उस बंदर में चाबी भरी पर कुछ नहीं हुआ बंदर ने झुनझुना बजाया ही नहीं डेमी के चंचल मन ने ज्यादा नहीं सोचा वो अपनी गुड़िया के साथ खेलने में बिजी हो गई और वो बंदर एक कोने में पड़ा रहा उस रात जब डेमी सो रही थी तो बीच रात उसकी आंख झुनझुनी की आवाज से खुले लेकिन डेमी ने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वो अपने सपनों की दुनिया में वापस चली गई पर अगली सुबह जब वो उठी तो उसके पापा चल बसे थे डेमी की मां ने रोते हुए उसे बताया कि उसके पापा को हार्ट अटैक आया था हालांकि वहां मौजूद सभी लोग यही सोच रहे थे कि 35 साल के इतने फिट आदमी को हार्ट अटैक आया कैसे पर नन्ही सी डेमी को मौत के बारे में क्या ही पता था उसका सारा ध्यान उसके कमरे में पड़े उस बंदर के खिलौने पर था डेमी को उस दिन वह बंदर बहुत अजीब सा लग रहा था मानो इस दुख के माहौल में सिर्फ वो बंदर अजीब सी मुस्कान लिए मुस्कुरा रहा था उस दिन के बाद वह बंदर एक शेल्फ पर ही पड़ा रहा डेमी ने कभी उससे खेलने की कोशिश नहीं की पर वोह उस बंदर को अपने पापा की तरफ से एक आखिरी गिफ्ट मानती रही इसलिए उसे फेंकने का ख्याल कभी डेमी के दिमाग में आया ही नहीं समय का पहिया घूमा और धीरे-धीरे वो बंदर भी डेमी के बाकी खिलौनों के साथ एक स्टोर रूम में चला गया डेमी की आंखों और दिमाग से कई सालों तक छुप गया अब डेमी एक वर्किंग प्रोफेशनल थी हाल में उसका प्रमोशन हुआ था और उसने डिसाइड किया कि बोनस के पैसों से वह अपना मकान रिनोवेट करवाएगी दोस्तों हमने अपने क्राइम चैनल द क्राइम शो पर सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस को कवर किया है अगर आप सिद्धू के फैन थे या अगर आपको जानना है कि एक्चुअली में सिद्धू मूसेवाला केस में क्या हुआ था तो इस वीडियो वीडियो के बाद हमारी उस वीडियो को देखना मत भूलना लिंक पिन कमेंट और डिस्क्रिप्शन में रिनोवेशन शुरू होने से पहले डेमी की मां ने सोचा कि घर का सारा पुराना सामान फेंक देना चाहिए और स्टोर रूम साफ करने की जिम्मेदारी आई डेमी पर जब वह स्टोर रूम साफ कर रही थी तो उसके हाथ लगा उसके खिलौनों का पुराना कार्टन कार्टन के अंदर सबसे नीचे छुपा हुआ था उस बंदर का खिलौना जैसे ही उसने उस बंदर को उठाया एक ठंडा सा झटका उसके हाथों से दिमाग तक पहुंच गया बंदर का वो खिलौना ठंडा पड़ा था जैसे किसी ने अभी-अभी उसे बर्फ से निकाला हो डेमी उसे देखकर हैरान थी उसकी सारी पुरानी यादें वापस आ रही थी तभी अचानक उस बंदर के हाथ से झुनझुना बज उठा सेहम के डेमी के हाथ से वो बंदर छूट गया ज्यादा ना सोचते हुए डेमी ने उसे वापस का में रखा और अपनी मां से कहा कि इस कार्टन को उनकी मेट के बच्चों को दे दे बच्चे खेल लेंगे उन खिलौनों से लेकिन तभी डेमी का फोन बजा उसकी बेस्ट फ्रेंड सिमोन का एक्सीडेंट हो गया था नेमी सब कुछ वैसे ही छोड़कर हॉस्पिटल भागी सिमोन कोमा में थी और डॉक्टर्स ने उम्मीद छोड़ दी थी यह सुनकर डेमी का दिल सुन पड़ गया था उस रात जब वह हॉस्पिटल से वापस आई तो उसके बेड के पास वही बंदर पड़ा था वैसे का वैसा झुनझुना वैसे का वैसा झुनझुना हाथ में पकड़े हुए उसने सोचा कि उसकी मां ने शायद वो बंदर कार्टन से निकाल कर वापस रख दिया होगा लेकिन तभी एक अजीब बात हुई उसकी मां ने उस बंदर को देखा और पूछा ये बंदर कहां से मिला तुझे मैंने तो इसे सालों पहले फेंक दिया था बिल्कुल अच्छा नहीं लगता यह खिलौना मुझे अपनी मां की बात सुनकर डेमी की रगों में ठंडी लहर दौड़ गई अगली कुछ रातों में चीजें और भी अजब होने लगी जब भी बंधन का झुनझुना बचता कोई ना कोई बुरी खबर आती पहले एक रिश्तेदार का देहांत हो गया फिर सिमोन इस दुनिया से चली गई उसने सोचा कि ये कैसा इत्तेफाक है जब भी झुनझुना बचता मौत आती डेमी एक पढ़ी लिखी लड़की थी जो अंधविश्वास में बिल्कुल नहीं मानती थी पर ना जाने क्यों डेमी को लगने लगा कि हर मौत की वजह वो बंदर का खिलौना था डेमी ने हर तरीके से इससे छुटकारा पाने की कोशिश की उसने बंदर को जलाने की कोशिश की पर आग नहीं लगी उसने उसे घर के बाहर फेंक दिया लेकिन अगले दिन वो फिर से बेड के पास मिला डेमी को ऐसा लग रहा था कि बंदर किसी बहुत भयानक अनजानी शक्ति से बंधा है अपनी सारी नाकाम कोशिशों के बाद थक हार कर डेमी ने अपनी मां को सब बताया उसकी मां को वो बंदर हमेशा से अजीब लगता था वो कई बार उस बंदर को फेंक चुकी थी पर हर बार वो बंदर डेमी के कमरे में मिलता डेमी की मां को लग ता था कि डेमी बार-बार उसे वापस ले आती थी पर अब दोनों मां बेटी को समझ आ गया था कि यह सब सिर्फ एक अजीब इत्तेफाक नहीं है डेमी और उसकी मां ने चर्च के एक प्रीस्ट को घर बुलाया और उन्हें सब कुछ बताया जैसे ही उस प्रीस्ट ने उस बंदर को देखा उसने चिल्ला के पूछा यह कहां से आया आपके पास देवी ने घबराकर उस प्रीस्ट को बताया कि यह उसके पापा लाए थे और तब उस प्रीस्ट ने बताया कि ये बंदर उसके पापा नहीं लाए थे बल्कि ये बंदर इस घर से हमेशा से जुड़ा है और ये बंदर कोई आम खिलौना नहीं है बल्कि एक ऐसा खिलौना है जो भयानक रूप से श्रापित है और उस पर एक शैतान का वास है उस प्रीस्ट ने बताया कि वो खिलौना उस घर से कभी नहीं जाएगा बेहतर यही होगा कि डेमी और उसकी मां इस घर से हमेशा हमेशा के लिए चले जाए जब तक उन लोगों पर उस खिलौने का साया है तब तक उनकी जिंदगियां इसके झुंझ से जुड़ी हुई है जब जब उसका झुनझुना बजेगा तब तब किसी की मौत का फरमान लिखा जाएगा दोनों मां बेटी घबरा गए और उन्होंने उस प्रीस्ट की बात मान ली लेकिन घर छोड़ने से पहले उस प्रीस्ट ने उस घर का एगर्स म किया और उस बंदर के खिलौने को एक बक्से में डालकर उस बक्से को क्राइस्ट के लॉकेट से बांधकर ताला लगा दिया अगली ही सुबह डेमी और उसकी मां ने वो घर छोड़ दिया फिर कुछ महीनों बाद उस घर में नए ओनर शिफ्ट हुए उनका एक 8 साल का बेटा था जिसे अपने कमरे में फिर से वही बंदर का खिलौना मिला और वह इस बार भी वैसे ही झुनझुना बजा रहा था दोस्तों अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो हमारे चैनल खूनी मंडे को सब्सक्राइब करना बिल्कुल मत भूलना और ऐसी ही इंटरेस्टिंग हॉरर स्टोरीज की लेटेस्ट टिफिकेशंस के लिए जल्दी से बेल आइकन दबा दो और साथ ही एंड स्क्रीन पर क्लिक करके देखो सिद्धू मसे वाला मर्डर केस ओनली ऑन द क्राइम शो बाय खूनी मंडे

Akbar & Birble Story

1) https://www.youtube.com/watch?v=JJVLoOXR3jw

2) https://www.youtube.com/watch?v=B7eabfR7jME

3) https://www.youtube.com/watch?v=e23g6qyhkS8

4) https://www.youtube.com/watch?v=-SSqoeQiTos

5) https://www.youtube.com/watch?v=UkXNHYbeCHc

Motivational Story

1) https://youtu.be/XqStVK04Jkk?si=3_S30pxvqVFB06m-

दोस्तों पुराने समय की बात है पहाड़ियों और हरे भरे खेतों के बीच बसा एक छोटा सा गांव था आसपुर इस गांव में रहने वाले अधिकतर लोग किसान थे जो दिन रात मेहनत करके अपनी आजीविका चलाते थे लेकिन इसी गांव में एक लड़का था शिवा जो बहुत ही गरीब था शिवा की झोपड़ी गांव के किनारे थी उसकी मां का कई साल पहले देहांत हो चुका था और उसके पिता भी बीमार रहने लगे थे परिवार में अब बस शिवा था जो खेतों में मजदूरी करके किसी तरह अपना और अपने पिता का पेट भरता था लेकिन उसकी गरीबी के बावजूद उसके दिल में दया और करुणा की कमी नहीं थी वह रोज सुबह जल्दी उठता अपनी झोपड़ी के बाहर बैठकर भगवान को प्रणाम करता और फिर काम पर निकल जाता जब भी उसके पास कुछ खाने को होता तो वह उसमें से थोड़ा हिस्सा उन प्राणियों को भी देता जो भूख से तड़प रहे होते चाहे कोई भूखा कुत्ता हो कोई प्यासा पक्षी या कोई जरूरतमंद व्यक्ति एक दिन की बात है शिवा खेत में काम करके लौटा और थका हारा अपने घर पहुंचा उसके पिता ने उसके लिए एक रोटी बचाकर रखी थी जैसे ही वह खाने बैठा उसने देखा कि बाहर एक कुत्ता बैठा हुआ है उसकी आंखों में गहरी भूख झलक रही थी शिवा के मन में एक द्वंद हुआ मुझे भी बहुत भूख लगी है लेकिन यह बेचारा मुझसे भी ज्यादा भूखा लगता है उसने बिना कोई और विचार किए रोटी का आधा हिस्सा कुत्ते को दे दिया कुत्ता खुशी से पूंछ हिलाने लगा और तुरंत खाने लगा शिवा के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई और वह सोचने लगा शायद किसी की भूख मिटाकर मेरी भी आत्मा तृप्त हो गई शिवा की इस आदत के बारे में पूरा गांव जानता था लेकिन कुछ लोग इस पर हंसते भी थे अरे खुद के पास कुछ नहीं और दूसरों पर लुटाने में लगा है क्या मिलेगा तुझे इन भिखारियों को खाना खिलाने से तेरी गरीबी तो दूर हो नहीं रही शिवा इन बातों को सुनकर बस मुस्कुरा देता और अब अपनी राह पर चलता एक दिन जब वह अपने घर के बाहर बैठा था तभी वहां एक साधु बाबा आए उनके कपड़े फटे हुए थे चेहरा थका हुआ था और आंखों में भूख की झलक थी वे शिवा की ओर देखे बिना ही धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे शिवा ने तुरंत उन्हें आवाज दी बाबा क्या आप भूखे हैं साधु कुछ पल के लिए रुके और फिर बोले हां बेटा कई दिनों से कुछ ढंग से खाया नहीं है शिवा के घर में उस दिन बस एक ही रो थी उसके पिता भी भूखे थे और शिवा खुद भी दिन भर की मेहनत के बाद थका हुआ था लेकिन उसने बिना सोचे अपनी रोटी उठाई और साधु को दे दी साधु बाबा ने बड़े प्रेम से वह रोटी खाई और फिर मुस्कुराते हुए बोले बेटा तूने जो किया वह साधारण नहीं है निस्वार्थ सेवा का फल एक दिन जरूर मिलता है जब समय आएगा तो तू समझ पाएगा कि तेरे कर्म तुझे कहां तक ले जा सकते हैं इतना कहकर वे वहां से चले गए शिवा को इस सेवा से खुशी मिली लेकिन गांव के कुछ लोग अब भी उसकी निंदा करने से बाज नहीं आते थे देखा फिर अपनी रोटी बाट दी कर्म धर्म सब अपने लिए होते हैं पहले खुद का पेट भरना सीख शिवा को इन बातों से दुख जरूर हुआ लेकिन उसने अपने मन को शांत किया और सोचा मैं अच्छा कर्म सिर्फ इसलिए नहीं करता कि मुझे कुछ बदले में मिले मैं यह इसलिए करता हूं क्योंकि यही मेरा धर्म है उसने खुद से एक वचन लिया चाहे कुछ भी हो मैं अपने अच्छे कर्म नहीं छोडूंगा जो मिलेगा वही स्वीकार करूंगा गांव में एक दिन भीषण तूफान आया हवा इतनी तेज थी कि कई लोगों की झोपड़ियां गिर गई खेतों की फसल बर्बाद हो गई और कई गरीब लोगों को भूखा रहना पड़ा शिवा की खुद की झोपड़ी भी बहुत कमजोर थी लेकिन उसने सबसे पहले दूसरों की मदद करने का फैसला किया उसने उन बच्चों को अपने घर में शरण दी जिनके घर उड़ चुके थे और जो थोड़ा बहुत थाना उसके पास था वह सबसे बांट दिया यह देखकर गांव के कुछ भले लोग भी उसकी मदद करने लगे परंतु अब शिवा की खुद की हालत और भी खराब हो गई थी उसकी मेहनत से कमाया गया अनाज खत्म हो गया पिता की तबीयत और बिगड़ गई और अब उसके पास कुछ भी बचा नहीं था उसे लगा क्या मैं सच में गलत कर रहा हूं अगर मैं दूसरों की मदद ना करता तो शायद मेरे पास आज कुछ बचा होता लेकिन फिर उसने अपने दिल की सुनी और खुद से कहा नहीं अगर मुझे भूखा भी रहना पड़े तो भी मैं अपना धर्म नहीं छोडूंगा मैं अच्छे कर्म करूंगा चाहे उसका परिणाम जो भी हो शिवा ने अपने आप से यह वचन लिया था लेकिन वक्त ने जैसे उसे परखने की ठान ली थी तूफान के बाद उसकी हालत और खराब हो गई अब उसके पास ना अनाज बचा था ना पहनने के लिए ढंग के कपड़े पिता की तबीयत बिगड़ती जा रही थी और काम भी पहले जैसा नहीं मिल रहा था गांव के कुछ लोग भी उस पर तंज कसते देखा अच्छे कर्म करने का यही नतीजा होता है दूसरों को खिलाता रहा अब खुद भूखा मरने की नौबत आ गई लेकिन शिवा फिर भी हिम्मत नहीं हारा वह दिन भर मजदूरी करता और रात को अपने पिता की सेवा करता उसे विश्वास था कि कर्म का फल कभी ना कभी लौटकर जरूर आएगा एक दिन शिवा को बहुत भूख लगी थी उसने सोचा कि किसी तरह थोड़ा अन्न उधार ले आए लेकिन गांव में उसकी हालत देखकर कोई भी उसे उधार देने को तैयार नहीं था वह गांव के एक सेठ लाला मनोहर के पास पहुंचा और हाथ जोड़कर बोला सेठ जी मैं बस दो मुट्ठी अनाज मांगने आया हूं जैसे ही कमाई होगी मैं चुका दूंगा लाला मनोहर ने उसे सिर से पैर तक देखा और हंसकर बोले तेरी हालत तो देख शिवा तुझे खाना देने से अच्छा है कि मैं इसे कुत्तों को डाल दूं तू पहले अपनी गरीबी से तो बाहर निकल फिर दूसरों की सेवा की सोचना उनकी बात सुनकर आसपास खड़े लोग भी हंस पड़े शिवा को यह सुनकर बहुत दुख हुआ लेकिन उसने कोई उत्तर नहीं दिया वह वहां से चुपचाप चला गया और मन ही मन सोचा यह दुनिया भले ही मेरी परीक्षा ले लेकिन मैं अपने कर्म नहीं बदलूंगा उसी शाम जब शिवा अपने घर लौट रहा था तो उसने देखा कि गांव के बाहर एक बूढ़े साधु बाबा रास्ते पर बैठे हैं उनके चेहरे पर थकान थी और वे भूख से कमजोर लग रहे थे शिवा के पास खुद खाने को कुछ नहीं था लेकिन उसने सोचा मुझे ना सही पर अगर किसी और की भूख मिट सके तो वह भी एक पुण्य का काम है उसने पास जाकर विनम्रता से पूछा बाबा क्या आपको कुछ चाहिए बाबा ने धीरे से सिर उठाया और कहा बेटा बहुत दिनों से ठीक से भोजन नहीं किया अगर थोड़ा सा भी कुछ मिल जाता तो बड़ी कृपा होती शिवा ने झट से कहा मैं कुछ इंतजाम करने की कोशिश करता हूं आप कृपया यहां इंतजार करें लेकिन समस्या यह थी कि उसके पास खुद कुछ नहीं था उसने कई घरों में जाकर मांगने की कोशिश की लेकिन लोगों ने उसे दुत्कार दिया थक्कर वह गांव के तालाब के पास बैठ गया और सोचने लगा क्या सच में मेरे कर्म बेकार जा रहे हैं क्या सच में लोगों की मदद करना व्यर्थ है तभी उसके पास एक कुत्ता आया यह वही कुत्ता था जिसे वह पहले भी रोटी खिलाया करता था कुत्ते के मुंह में एक पुराना कपड़ा बंधा हुआ था और जब शिवा ने उसे खोला तो उसमें कुछ सूखे चने थे शिवा की आंखें भर आई वह समझ गया कि यह प्रकृति का संकेत है उसने उन चनों को साफ किया और बाबा के पास ले गया बाबा यह बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन कृपया स्वीकार करें बाबा ने उन चनों को प्रेम से खाया और मुस्कुरा कर बोले बेटा तेरी परीक्षा समाप्त होने वाली है ईश्वर तेरे कर्मों का फल देने ही वाले हैं कल सूरज उगते ही तेरा भाग्य बदल जाएगा शिवा ने बाबा के शब्दों को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन उनके आशीर्वाद से उसे एक अजीब सी शांति जरूर मिली अगली सुबह गांव में हलचल मची हुई थी राजा के दरबार से एक विशेष संदेशवाहक गांव में आया था उसने घोषणा की राजा को अपने नए महल के लिए एक ईमानदार व्यक्ति की जरूरत है जो निस्वार्थ सेवा कर सके और दूसरों की भलाई के लिए काम कर सके क्या इस गांव में कोई ऐसा व्यक्ति है गांव वालों ने तुरंत कई अमीर और प्रतिष्ठित लोगों के नाम सुझाए लेकिन संदेशवाहक ने सिर हिलाया और कहा नहीं राजा को कोई ऐसा चाहिए जो निस्वार्थ सेवा करता हो जो दूसरों की मदद के लिए खुद भूखा रह सकता हो अब गांव वालों के मन में सिर्फ एक ही नाम आया शिवा एक बुजुर्ग आगे बढ़े और बोले अगर ऐसा कोई व्यक्ति है तो वह शिवा ही है इसने अपनी भूख से ज्यादा दूसरों की भूख की चिंता की संदेशवाहक ने शिवा को बुलवाया जब वह वहां पहुंचा तो सभी गांव वाले उसकी ओर हैरानी से देखने लगे क्या सच में यह गरीब लड़का राजा के दरबार में जाएगा शिवा को तुरंत राजा के महल ले जाया गया वहां उसकी परीक्षा ली गई राजा ने उसे कई कठिन प्रश्न पूछे और उसके चरित्र की जांच की जब राजा को यह पता चला कि शिवा ने भूखे रहकर भी दूसरों की मदद की तो वे बहुत प्रभावित हुए राजा ने घोषणा की शिवा जैसे व्यक्ति को मैं अपने महल में एक विशेष स्थान देना चाहता हूं इसे मेरे निजी सेवक के रूप में नहीं बल्कि मेरे सलाहकार के रूप में रखा जाएगा क्योंकि जिसने बिना किसी स्वार्थ के लोगों की सेवा की है वही सही मायनों में नेतृत्व करने लायक है शिवा की आंखों में आंसू आ गए उसे समझ में आ गया कि साधु बाबा ने जो कहा था वह सच हो गया जब यह खबर गांव में पहुंची तो वही लोग जो कभी उसका मजाक उड़ाते थे अब उसकी प्रशंसा कर रहे थे हमें तो कभी समझ ही नहीं आया कि कर्म का असली अर्थ क्या होता है शिवा ने हमें सिखा दिया कि अच्छा कर्म व्यर्थ नहीं जाता अब गांव के लोग भी दान पुण्य और निस्वार्थ सेवा में विश्वास करने लगे शिवा की कहानी पूरे राज्य में प्रसिद्ध हो गई और वह राजा का प्रिय सलाहकार बन गया दोस्तों शिवा की कहानी हमें यह सिखाती है कि अच्छे कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते भले ही लोग आपका मजाक उड़ाए आपको हतोत्साहित करें लेकिन सच्चे कर्मों का फल समय आने पर अवश्य मिलता है शिवा ने अपने जीवन में कई कठिनाइयां झेली लेकिन उसने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया उसकी मेहनत सेवा भावना और ईमानदारी ने उसे मजदूर से राजा बना दिया यह कहानी हमें यह भी बताती है कि जो हम दूसरों के लिए करते हैं वही किसी ना किसी रूप में हमें लौटकर मिलता है दोस्तों हमेशा याद रखो कि निस्वार्थ सेवा और अच्छे कर्म कभी बेकार नहीं जाते साथ ही धैर्य और आत्मविश्वास रखें समय आने पर आपके कर्मों का फल जरूर मिलेगा दुनिया चाहे कुछ भी कहे सही रास्ते पर डटे रहना ही असली सफलता है जो दूसरों के लिए अच्छा करता है उसका भाग्य भी चमकता है दोस्तों अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो इसे लाइक और शेयर करना ना भूलें हमारे youtube's करें और रोज नई प्रेरणादायक कहानियां देखें धन्यवाद

2) https://youtu.be/Y1tj9ugUOmY?si=iQWYvKcH0TE9nK3r

दोस्तों बहुत समय पहले की बात है एक छोटे से गांव में एक अनाथ लड़का रहता था जिसका नाम विजय था विजय का इस दुनिया में कोई नहीं था जब वह बहुत छोटा था तभी उसके माता-पिता की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी गांव के लोग कभी-कभी उसे खाना दे देते लेकिन कोई उसे अपना नहीं मानता था विजय ने अपना बचपन अकेलेपन में गुजारा जब वह अन्य बच्चों को उनके माता-पिता के साथ खेलते और गलती करने पर उन्हें ंट खाते देखता तो उसके मन में यह सवाल उठता काश मेरे भी माता-पिता होते जो मुझे सही और गलत का फर्क सिखाते लेकिन अब मुझे खुद ही सीखना होगा एक दिन विजय बहुत भूखा था उसने गांव के एक व्यापारी की दुकान से फैल चुराने की कोशिश की लेकिन वह पकड़ा गया दुकानदार ने उसे बहुत डांटा और गांव के बुजुर्गों के सामने उसकी शिकायत कर दी विजय डर गया था उसे लगा कि अब कोई उसे गांव से निकाल दे लेकिन गांव के एक बूढ़े दादाजी ने उसे समझाया गलती इंसान से होती है लेकिन जो अपनी गलती से सीखता नहीं वही असली मूर्ख होता है विजय को यह बात दिल पर लग गई उसने तय किया कि अब वह कभी चोरी नहीं करेगा बल्कि ईमानदारी से मेहनत करेगा लेकिन एक सवाल उसके मन में आया मेहनत से भी कोई सफल बन सकता है क्या विजय ने गांव में छोटे-मोटे काम करने शुरू किए कभी वह खेतों में मजदूरी करता तो कभी लोगों के जानवरों की देखभाल करता धीरे-धीरे उसने सीखा कि मेहनत करने से ही पेट भरा जा सकता है एक दिन उसने देखा कि एक किसान बहुत मेहनत से अपने खेत में काम कर रहा था विजय ने पूछा तुम इतनी मेहनत क्यों करते हो किसान ने हंसते हुए जवाब दिया अगर मैं मेहनत ना करूं तो मेरी फसल नहीं उगे गी और अगर फसल नहीं उगे गी तो मेरे घर में अनाज नहीं आएगा मेहनत ही एक मात्र रास्ता है जिससे हम अपनी तकदीर खुद लिख सकते हैं विजय को यह बात समझ आ गई उसने तय किया कि अब वह मेहन से ही अपनी तकदीर बदलेगा गांव में बहुत से लोग विजय को ताने मारते थे कोई कहता अरे यह अनाथ क्या कर सकता है तो कोई हंसकर कहता इसका तो कोई भविष्य ही नहीं है पहले विजय को यह सब सुनकर बुरा लगता था लेकिन फिर उसने सोचा अगर मैं इनकी बातों को सच मान लूं तो क्या मैं कभी आगे बढ़ पाऊंगा वि ने ठान लिया कि अब वह सिर्फ अपने दिल की सुनेगा उसे जो सही लगेगा वही करेगा विजय ने गांव के एक बड़ी से काम सीखना शुरू किया उसने देखा कि लकड़ी से कितनी सुंदर चीजें बन सकती हैं दरवाजे खिड़कियां फर्नीचर बड़ी ने उसे सिखाया कि कड़ी मेहनत और धैर्य से ही बढ़िया चीजें बनती हैं धीरे-धीरे विजय भी कुशल बढ़ी बन गया लेकिन फिर भी गांव के लोग उसे गंभीरता से नहीं लेते थे वे कहते तू कभी भी बड़ा आदमी नहीं बन सकता यह काम तो बस पेट पालने के लिए ठीक है विजय ने सीखा कि हर बड़ा काम समय लेता है जब उसने एक सुंदर दरवाजा बनाया और गांव के सरपंच को दिखाया तो सरपंच ने उसकी तारीफ की यह विजय के लिए बहुत बड़ी बात थी लेकिन सफलता इतनी जल्दी नहीं मिलती जब वह शहर में अपने फर्नीचर बेचने गया तो किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया दुकानदारों ने कहा तू गांव का एक मामूली लड़का है तेरा सामान कोई नहीं खरीदेगा विजय निराश हुआ लेकिन उसने हार नहीं मानी उसने फैसला किया कि वह अपनी कला को और बेहतर बनाएगा एक दिन विजय ने बहुत सुंदर लकड़ी की मूर्तियां बनाई लेकिन जब वह उन्हें बेचने गया तो एक दुकानदार ने कह दिया यह मूर्तियां बिक गगी नहीं विजय को लगा कि उसने इतनी मेहनत की फिर भी उसे सफलता नहीं मिली लेकिन फिर उसे याद आया गलती करना बुरा नहीं उससे सीखना जरूरी है उसने सोचा अगर मेरी मूर्तियां नहीं बिक रही हैं तो शायद मुझे कुछ नया सीखना होगा उसने बाजार में जाकर देखा कि कौन-कौन सी चीजें ज्यादा बिकती हैं उसे समझ आया कि लोग सुंदर और उपयोगी चीजें ज्यादा पसंद करते हैं उसने अपने डिजाइन बदले और दोबारा कोशिश की इस बार उसकी मूर्तियां और फर्नीचर बिकने लगे विजय ने सीखा कि असफलता एक संकेत होती है कि हमें कुछ नया सीखना चाहिए लेकिन जब उसने थोड़ा पैसा कमाना शुरू किया तो उसके मन में एक और सवाल उठा क्या सिर्फ पैसा कमाना ही सफलता है अब तक विजय ने बहुत संघर्ष किया था वह जान चुका था कि मेहनत से हर मुश्किल को हराया जा सकता है लेकिन वह अभी भी यह समझ नहीं पाया था कि असली सफलता क्या होती है क्या यह सिर्फ पैसे कमाने और अमीर बनने तक सीमित है या फिर इसका कोई और मतलब भी है अब विजय का काम चल निकला था उसने गांव के बाजार में अपनी खुद की एक छोटी सी दुकान खोल ली थी वहां वह सुंदर और मजबूत लकड़ी के फर्नीचर बेचता था लोग अब उसकी कारीगिरी की तारीफ करने लगे थे एक दिन एक अमीर व्यापारी उसकी दुकान पर आया उसने विजय से बहुत महंगे फर्नीचर बनवाने के लिए कहा बदले में उसने अच्छी कीमत भी देने की पेशकश की विजय बहुत खुश हुआ क्योंकि यह उसकी अब तक की सबसे बड़ी डील थी विजय ने जी जान लगाकर वह फर्नीचर बनाया लेकिन जब व्यापारी उसे लेने आया तो उसने कीमत कम करने की कोशिश की और विजय को दबाव में डालने लगा तू एक मामूली बढी है तेरी चीजों की इतनी कीमत नहीं हो सकती अगर तुझे बड़ा बनना है तो बड़े व्यापारियों की तरह सोचना सीख विजय के मन में एक अजीब सा असमंजस हुआ वह सोचने लगा अगर पैसा ही सफलता का पैमाना है तो क्या इसका मतलब यह है कि हमें अपने मूल्य से समझौता करना होगा विजय ने गहरी सांस ली और आत्मविश्वास से कहा मेरे लिए मेरा हुनर और मेरी ईमानदारी सबसे बड़ी पूंजी है अगर आपको मेरी बनाई चीजें पसंद नहीं तो आप इसे मत लीजिए लेकिन मैं अपनी मेहनत की कीमत कम नहीं करूंगा व्यापारी नाराज होकर चला गया लेकिन विजय को अपने फैसले पर गर्व था उसे एहसास हुआ कि सच्ची सफलता सिर्फ पैसा कमाने में नहीं बल्कि अपने मूल्यों पर अडिग रहने में भी है सफलता सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी होती है अब गांव में विजय की पहचान बन चुकी थी लोग उसे मेहनती और ईमानदार इंसान के रूप में जानते थे लेकिन विजय को अब भी कुछ अधूरा महसूस होता था एक दिन उसने एक बूढ़े आदमी को देखा जो ठंड में बिना किसी सहारे के सड़क के किनारे बैठा था वह बहुत कमजोर लग रहा था विजय को उसकी हालत देखकर दया आ गई उसने बिना कुछ सोचे अपनी कमाई से उसके लिए एक छोटी सी झोपड़ी बना दी जब बूढ़े आदमी को यह पता चला तो उसकी आंखों में आंसू आ गए उसने विजय का हाथ पकड़कर कहा बेटा तू सिर्फ एक बड़ी नहीं तू एक अच्छा इंसान भी है विजय के दिल में अजीब सी खुशी हुई उसे पहली बार एहसास हुआ कि असली सफलता सिर्फ खुद के लिए कमाने में नहीं बल्कि अपने काम से दूसरों की मदद करने में भी होती है अब गांव के वही लोग जो कभी विजय को मूर्ख और अनाथ कहकर ताने मारते थे उसकी तारीफ करने लगे थे लोग उसके पास सलाह लेने आते उससे प्रेरणा लेने लगे लेकिन विजय को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि उसने सीख लिया था कि गलती करने से डरना नहीं चाहिए बल्कि उनसे सीखना चाहिए क्योंकि मेहनत ही सफलता का असली रास्ता है लोग जो भी कहें हमें अपने दिल की सुननी चाहिए असफलता हमें सिखाने के लिए आती है हमें निराश करने के लिए नहीं सच्ची सफलता सिर्फ पैसा कमाने में नहीं बल्कि आत्म संतोष और दूसरों की मदद करने में भी है अब विजय का सफर पूरा हो चुका था वह एक अनाथ बच्चा था जिसने खुद को संवारा गलतियों से सीखा मेहनत की धैर्य रखा और अंत में न सिर्फ खुद को सफल बनाया बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन गया दोस्तों यही जीवन में सफलता का एकमात्र रास्ता है जीवन की यह कहानी हमें सिखाती है कि सफलता का रास्ता गलतियों से होकर गुजरता है लेकिन असली विजेता वही होता है जो अपनी गलतियों से सीखता है न कि उनसे डर करर पीछे हटता है महंत धैर्य और आत्मविश्वास से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है इस कहानी ने आपको क्या सिखाया हमें कमेंट में बताइए अगर यह कहानी आपको पसंद आई तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें ऐसे ही प्रेरणादायक किस्सों के लिए हमारे

3) https://youtu.be/6OMJO1Ktvj0?si=Jy2L8otnsIAqxPgI

दोस्तों क्या गरीबी किस्मत में लिखी होती है या यह हमारे गलत फैसलों का नतीजा होती है क्या कोई ऐसा राज है जो हमें गरीबी से निकालकर अमीरी की ओर ले जा सकता है दोस्तों यह कहानी सिर्फ नरेश की नहीं हर उस इंसान की है जो संघर्ष कर रहा है जो सोचता है कि उसकी किस्मत बदल नहीं सकती लेकिन अगर एक किताब जो आपकी जिंदगी बदल सकती हो तो अगर सिर्फ सात सबक आपकी गरीबी को अमीरी में बदल सकते हो तो दोस्तों आज हम आपको एक ऐसी अद्भुत कहानी सुनाने वाले हैं जो आपके सोचने का तरीका बदल देगी दोस्तों यह सिर्फ कहानी नहीं एक ऐसा मंत्र है जो आपको सच्ची अमीरी तक ले जा सकता है तो इस वीडियो को आखिर तक जरूर देखना क्योंकि आखिरी सीख आपकी पूरी जिंदगी बदल सकती है दोस्तों शुरू करते हैं नरेश की प्रेरणादायक यात्रा दोस्तों गांव शिवपुर की पगडंडियों पर चलते हुए नरेश के पैर ठिठक गए सूरज ढल रहा था और हल्की ठंडी हवा खेतों में लहराते गेहूं के पौधों को हिला रही थी लेकिन नरेश के दिल में शांति नहीं थी वह 28 साल का नौजवान जिसने बचपन से ही गरीबी का सामना किया था आज भी उसी दलदल में फंसा हुआ था उसके पिता गणेश लाल गांव के एक साधारण किसान थे जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी मिट्टी को जोतते हुए बिटा दी लेकिन बदले में गरीबी ही पाई नरेश ने कई बार कोशिश की थी थी कि वह अपनी स्थिति बदले लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी आज भी उसकी जेब में बस त रुपए थे मां ने कहा था बेटा भगवान पर भरोसा रखो किस्मत से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता लेकिन नरेश इस बात से संतुष्ट नहीं था क्या सच में गरीबी किस्मत का खेल थी क्या मेहनत करने से कुछ नहीं बदला जा सकता था सोचते सोचते वह गांव के बाहर स्थित पीपल के पेड़ के पास पहुंचा अचानक उसकी नजर वहां बैठे एक बूढ़े साधु पर पड़ी उनकी आंखें चमक रही थी और हाथ में एक पुरानी किताब थी साधु ने नरेश को देखते ही कहा बेटा तू परेशान दिख रहा है गरीबी से जूझ रहा है नरेश चौका यह बाबा कौन थे उन्होंने कैसे उसकी परेशानी को भांप लिया हां बाबा मैं बहुत मेहनत करता हूं लेकिन हालात कभी नहीं बदलते नरेश ने कहा बाबा मुस्कुराए और बोले गरीबी किस्मत का खेल नहीं यह तेरी सोच और कर्मों का परिणाम है अगर सही रास्ता पहचान ले तो किस्मत भी बदल जाती है नरेश को यह बात अजीब लगी क्योंकि उसने तो हमेशा सुना था कि जो गरीब है उसकी तकदीर ही ऐसी होती है लेकिन बाबा ने आगे जो कहा उसने उसकी पूरी सोच हिला दी अगर तुझे सच्ची अमीरी चाहिए तो तुझे सात परीक्षाओं से गुजरना होगा सात परीक्षाएं नरेश ने चौक करर पूछा बाबा ने अपने पास रखी किताब खोलकर पहले पन्ने पर लिखा दिखाया गरीबी आदतों और डर की देन है जो इन सात बाधाओं को पार कर लेता है वही अमीर बनता है नरेश की आंखों में जिज्ञासा जागी उसने बाबा से कहा बाबा मुझे यह सात परीक्षाएं बताइए मैं अपनी किस्मत खुद बनाना चाहता हूं बाबा ने एक गहरी सांस ली और बोले याद रख यह आसान नहीं होगा पहली परीक्षा ही तय करेगी कि तू बाकी के रास्ते पर चल पाएगा या नहीं मैं तैयार हूं नरेश ने दृढ़ता से कहा बाबा ने कहा गरीब इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह बदलाव और जोखिम से डरता है अमीर बनने के लिए सबसे पहले तुझे अपने डर को हराना होगा नरेश को समझ नहीं आया कि यह कैसे होगा तभी बाबा ने उसे गांव के एक व्यापारी से मिलने को कहा जिसने नया कारोबार शुरू किया था और साझेदार की तलाश कर रहा था लेकिन मेरे पास तो पैसा ही नहीं है नरेश बोला यही तेरी परीक्षा है बाबा ने कहा क्या तू अपने डर को हराकर यह मौका अपनाए नरेश सोच में पड़ गया अगर वह अपनी बची कुची जमीन गिरवी रखकर इसमें पैसा लगाए और नुकसान हो गया तो क्या होगा यह सोचकर ही उसका दिल दहल उठा लेकिन फिर उसे किताब की वो लाइन याद आई जो डर गया वह हार गया नरेश ने आखिरकार हिम्मत जुटाई और अपनी जमीन गिरवी रख दी अब उसका पैसा भी लग गया था और खेल शुरू हो चुका था कुछ महीनों बाद नरेश की मेहनत रंग लाई कारोबार ने मुनाफा देना शुरू कर दिया पहली बार उसने अपने हाथों में 10 हज देखे वह खुशी से दौड़ता हुआ बाबा के पास पहुंचा और बोला बाबा मैंने पहली परीक्षा पास कर ली नरेश अब पहली परीक्षा पास कर चुका था उसने डर को हराकर कारोबार में निवेश किया और पहली बार मुनाफा कमाया लेकिन असली चुनौती अब शुरू हो रही थी बाबा ने उससे पूछा अब बताओ तुम्हारे पास जो पैसा आया है उसका क्या करोगे नरेश बोला बाबा इतनी मेहनत के बाद पहली बार मेरे पास इतने रुपए आए हैं मैं अपने लिए अच्छे कपड़े लूंगा घर की मरम्मत कराऊंगा कुछ रिश्तेदारों को दावत दूंगा बाबा उसकी बात सुनकर मुस्कुराए और बोले बस यही गलती गरीब करता है कैसी गलती बाबा नरेश चौका बाबा ने किताब के अगले पन्ने को खोला जहां लिखा था गरीब इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह पैसा मिलते ही खर्च कर देता है जबकि अमीर पैसा मिलते ही उसे बढ़ाने के तरीके खोजता है यह सुनकर नरेश सोच में पड़ गया उसे एहसास हुआ कि उसके पिता गणेश लाल भी यही करते थे जैसे ही कभी खेत से अच्छा मुनाफा होता वे त्यौहारों पर खर्च कर देते रिश्तेदारों की मदद कर देते लेकिन भविष्य के बारे में नहीं सोचते थे और फिर जब अगली फसल खराब होती तो फिर वही गरीबी का चक्र शुरू हो जाता बाबा ने उसे एक नई चुनौती दी अगर तुझे सच में अमीर बनना है तो इस पैसे को खर्च करने के बजाय निवेश करना सीख लेकिन सवाल यह था कि कहां निवेश करें बाबा ने सुझाव दिया कि वह शहर जाकर व्यापार से जुड़ी नई बातें सीखे और अपनी आमदनी को और बढ़ाने का तरीका निकाले नरेश को यह सलाह समझ आई उसने अपने पैसे का एक हिस्सा लेकर शहर जाने का फैसला किया जब नरेश पहली बार शहर पहुंचा तो उसकी आंखें खुली की खुली रह गई गांव में जहां लोग सिर्फ खेती और मजदूरी पर निर्भर थे वही यहां लोग अलग-अलग तरीकों से पैसा कमा रहे थे कुछ लोग दुकान चला रहे थे कुछ लोग निवेश करके पैसा बढ़ा रहे थे और कुछ लोग डिजिटल व्यापार कर थे नरेश ने सोचा क्या मैं भी ऐसा कुछ कर सकता हूं तभी उसकी मुलाकात हुई शेखर नाम की एक व्यापारी से शेखर एक सफल व्यवसाई था उसने नरेश से कहा अगर तुम सच में अमीर बनना चाहते हो तो तुम्हें यह समझना होगा कि पैसा अकेले मेहनत से नहीं बनता बल्कि सही फैसलों से बनता है कैसे नरेश ने पूछा शिखर ने एक उदाहरण दिया मान लो तुम्हारे पास 10 हज हैं अगर तुम इसे एक नई दुकान खोलने में लगाओ तो हर महीने इससे कमाई हो सकती है लेकिन अगर तुम इसे ऐसे ही घर में रखकर खर्च कर दोगे तो यह खत्म हो जाएगा यही फर्क होता है गरीब और अमीर की सोच में नरेश को बात समझ आई उसने फैसला किया कि वह शहर में एक नया व्यवसाय सीखेगा और उसे अपने गांव में शुरू करेगा लेकिन यहीं पर उसकी तीसरी परीक्षा उसका इंतजार कर रही थी शहर में एक आदमी ने उसे कहा तुम अगर मेरे साथ पैसा लगाओ तो मैं इसे दोगुना कर दूंगा नरेश को लालच आ गया उसने बिना सोचे समझे अपने पैसे का एक बड़ा हिस्सा उस आदमी को दे दिया और फिर वह आदमी गायब हो गया नरेश के पैरों तले जमीन खिसक गई उसका आधा पैसा डूब चुका था नरेश को बाबा की सीख याद आई टूटे मन से वह गांव लौटा और बाबा के पास गया बाबा मैं बर्बाद हो गया मुझे धोखा मिल गया बाबा मुस्कुराए और बोले तूने गलती की लेकिन यह तेरा अंत नहीं है असली अमीर वही बनता है जो अपनी गलतियों से सीखता है पर बाबा मैं क्या करूं अब बाबा ने किताब का अगला पन्ना खोला जहां लिखा था जो बिना सीखे निवेश करता है वह हमेशा हारता है लेकिन जो अपनी गलतियों से सीखता है वह अगली बार बेहतर निर्णय लेता है अब नरेश समझ चुका था कि उसे बिना सोचे समझे पैसा नहीं लगाना चाहिए अब नरेश पहले से सतर्क हो चुका था उसने अपनी बची हुई पूंजी को सोच समझकर निवेश किया और गांव में एक नई दुकान खोली वह अब केवल मेहनत नहीं कर रहा था बल्कि सही फैसले भी ले रहा था धीरे-धीरे उसकी आमदनी तीन गुना बढ़ गई लेकिन क्या यह उसकी अंतिम परीक्षा थी नहीं अभी सबसे कठिन परीक्षा बाकी थी समय का सही उपयोग करना नरेश अब तक दो बड़ी परीक्षाएं पास कर चुका था डर पर काबू पाकर पहला निवेश करना और पैसे को फिजूल खर्च करने की बजाय सही जगह लगाना लेकिन बाबा ने कहा अभी तेरा सफर पूरा नहीं हुआ असली परीक्षा अब शुरू होगी अब कौन सी परीक्षा बाबा नरेश ने उत्सुकता से पूछा बाबा ने किताब का तीसरा पन्ना खोला जहां लिखा था गरीब और अमीर के बीच का सबसे बड़ा फर्क यह है कि गरीब अपने समय को बर्बाद करता है जबकि अमीर हर पल का सही उपयोग करता है यह सुनकर नरेश सोच में पड़ गया समय की बर्बादी सबसे बड़ी बाधा नरेश ने अपने गांव के लोगों को देखा कोई दिन भर गप्पे मारता था कोई हर दिन अपनी असफलता का रोना रोता था कुछ लोग मेहनत तो करते लेकिन कोई योजना नहीं बनाते थे वहीं नरेश ने जब अपने शहर के व्यापारी दोस्त शेखर को देखा तो पाया कि वह हर घंटे की प्लानिंग करता था हर मिनट को गिनता था और अपने काम को प्राथमिकता देता था अब बाबा ने उसे एक नई चुनौती दी अगर तुझे सच में अमीर बनना है तो तुझे अपने समय का सही उपयोग करना सीखना होगा नरेश ने खुद से वादा किया कि अब वह अपने दिन को बिना बर्बाद किए पूरी योजना के साथ जिएगा उसने एक कड़ी दिनचर्या बनाई सुबह जल्दी उठना और नए कौशल सीखना दिन भर अपनी दुकान और व्यापार पर पूरा ध्यान देना रात को अगले दिन की योजना बनाना धीरे-धीरे नरेश की उत्पादकता बढ़ने लगी लेकिन तभी उसे एक और बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा जब नरेश ने अपने समय का सही उपयोग करना शुरू किया तो गांव के कुछ लोग उसका मजाक उड़ाने लगे अरे अब तू बड़ा अमीर बन गया है क्या इतनी मेहनत करके क्या कर लेगा आराम से जी यहां तक कि उसके परिवार में भी कुछ लोग नाराज होने लगे अब तो तू हमारे साथ बैठता तक नहीं बस काम ही करता रहता है उसकी मां ने शिकायत की नरेश इस उलझन में पड़ गया क्या उसे अपने लक्ष्य के लिए अपने पुराने रिश्तों को त्यागना पड़ेगा नरेश फिर से बाबा के पास गया और अपनी दुविधा बताई बाबा ने हंसकर कहा बेटा सफल वही होता है जो काम और रिश्तों में संतुलन बनाना सीख ले बाबा ने किताब का अगला पन्ना खोला जहां लिखा था समय की कद्र करना जरूरी है लेकिन अपनों का साथ बनाए रखना भी महत्त्वपूर्ण है नरेश को समझ आ गया कि उसे अपने समय को इस तरह बांटना होगा कि व्यापार भी बढ़े और परिवार व दोस्तों के साथ भी अच्छा रिश्ता बना रहे अब नरेश ने एक नया तरीका अपनाया सुबह और रात का समय अपने परिवार को दिया दोपहर और शाम का समय व्यापार में लगाया रविवार को दोस्तों और अपने लिए रखा धीरे-धीरे उसके व्यापार ने और भी रफ्तार पकड़ ली अब वह अपने गांव के सबसे अनुशासित और सफल व्यक्ति में गिना जाने लगा लेकिन क्या यह उसकी अंतिम परीक्षा थी नहीं अब एक और सबसे कठिन परीक्षा बाकी थी नरेश ने अब तक तीन बड़ी परीक्षाएं पास कर ली थी डर पर काबू पाकर पहला निवेश करना पैसे की सही समझ रखना और बचत करना समय की कीमत समझकर अनुशासन और दिनचर्या बनाना लेकिन बाबा नेहा था अभी असली परीक्षा बाकी है नरेश को अब अपनी अंतिम परीक्षा का सामना करना था नए कौशल सीखना और खुद को लगातार बेहतर बनाना गांव में ही नहीं बल्कि पूरे इलाके में अब नरेश की चर्चा होने लगी थी लोग उसे एक सफल व्यापारी मानने लगे थे लेकिन वह जानता था कि सफलता को बनाए रखने के लिए लगातार सीखते रहना जरूरी है एक दिन शहर के एक बड़े व्यापारी माधव सेठ ने नरेश से कहा बेटा बाजार बदल रहा है अब व्यापार सिर्फ गांव तक सीमित नहीं रह सकता अगर तुझे वाकई बड़ा बनना है तो तुझे नए तरीके सीखने होंगे नरेश ने सोचा मैंने तो अब तक सिर्फ परंपरागत तरीके से व्यापार किया है क्या मैं वाकई नए जमाने के व्यापार को समझ पाऊंगा बाबा ने किताब का चौथा पन्ना खोला जिसमें लिखा था गरीब वही रहता है जो नए कौशल सीखने से डरता है और अमीर वह बनता है है जो बदलाव को अपनाता है यह वाक्य पढ़कर नरेश को झटका लगा वह समझ गया कि अगर उसे आगे बढ़ना है तो उसे खुद को अपग्रेड करना होगा उसने शहर जाकर बड़े व्यापारियों से डिजिटल बिजनेस के बारे में सीखा ऑनलाइन मार्केटिंग डिजिटल पेमेंट और सप्लाई चेन जैसे नए तरीकों को अपनाया गांव की युवाओं को भी इन नई तकनीकों के बारे में सिखाना शुरू किया धीरे-धीरे उसका व्यापार गांव से निकलकर शहरों तक पहुंच गया अब नरेश सिर्फ गांव का एक व्यापारी नहीं था बल्कि वह एक प्रेरणा स्रोत बन चुका था नरेश को अब एहसास हुआ कि असली अमीरी सिर्फ पैसे में नहीं बल्कि ज्ञान अच्छे विचारों और दूसरों की मदद करने में है बाबा ने किताब का आखिरी पन्ना खोला जहां लिखा था सच्चा अमीर वह नहीं जो केवल खुद के लिए कमाता है बल्कि वह है जो दूसरों को भी आगे बढ़ाता है नरेश ने इसे अपने जीवन का मंत्र बना लि याया उसने गांव में एक व्यापार प्रशिक्षण केंद्र खोला जहां गरीब लोग भी आकर नए व्यापारिक गुर सीख सकते थे गांव के युवाओं को डिजिटल व्यापार और निवेश के बारे में सिखाना शुरू किया अब गांव के लोग भी मेहनत और सही सोच से अपनी गरीबी दूर करने लगे एक दिन बाबा फिर से नरेश के पास आए और मुस्कुराते हुए बोले बेटा तूने सिर्फ खुद की किस्मत नहीं बदली बल्कि पूरे गांव की तकदीर बदल दी अब तू सिर्फ अमीर नहीं बल्कि सफल और सम्मानित व्यक्ति है नरेश ने सिर झुका लिया और कहा बाबा आपकी दी हुई किताब ने मेरी सोच बदल दी मैंने सीख लिया कि गरीबी कोई किस्मत का खेल नहीं बल्कि हमारी आदतों और फैसलों का नतीजा होती है बाबा ने किताब का आखिरी पन्ना फाड़ दिया और कहा अब यह किताब तुझे नहीं बल्कि तुझे दूसरों को सिखानी है दोस्तों गरीबी कोई किस्मत का खेल नहीं बल्कि हमारी सोच आदतों और का नतीजा होती है अमीर बनने के लिए डर को हराकर सही फैसले लेने की हिम्मत रखनी होती है बचत और निवेश की आदत डालनी पड़ती है समय की कीमत समझनी होती है नए कौशल सीखते रहना जरूरी होता है और सबसे महत्त्वपूर्ण दूसरों को दोष देने के बजाय खुद की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है असली अमीरी केवल धन कमाने में नहीं बल्कि अपने ज्ञान और सफलता से दूसरों को आगे बढ़ाने में है जो जो बदलाव से डरता है वह गरीब बना रहता है और जो सीखता मेहनत करता और आगे बढ़ता है वही सच्चा अमीर बनता है दोस्तों अगर यह कहानी आपको पसंद आई हो तो इसको लाइक जरूर करना और अपने परिवार के साथ शेयर जरूर करना साथ ही ऐसी प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक कहानियों के लिए हमारे

4) https://youtu.be/6FsCrJzZmwI?si=o0dmYfFaYHOylpp7

दोस्तों बहुत समय पहले की बात है। किसी शहर के बीचोंबीच एक 12 साल का लड़का सूरज अपनी दुनिया खुद बसाने की कोशिश कर रहा था। उसका कोई अपना नहीं था ना मां-बाप ना कोई रिश्तेदार। किस हालात में उसका जन्म हुआ, यह तो उसे याद भी नहीं था। बस इतना जानता था कि जब से होश संभाला, खुद ही अपनी भूख मिटाने के लिए संघर्ष करता रहा। सूरज का ठिकाना कभी पान की दुकान के सामने पड़ा बोरा होता तो कभी किसी दुकान के शटर के नीचे की थोड़ी सी जगह। जब जहां जगह मिलती वहीं सो जाता। ठंड के दिनों में वो अखबार और बोरी को कंबल बना लेता। और गर्मी में किसी पेड़ की छाव ही उसका घर बन जाती। हर सुबह जब बाकी बच्चे अपने-अपने घरों से नाश्ता करके स्कूल के लिए निकलते सूरज भी जागता था। लेकिन उसका स्कूल किताबों का नहीं बल्कि जिंदगी के अनुभवों का था। वो उठते ही पहले अपना छोटा सा झोला संभालता जिसमें कुछ चावलों से बने पापड़ होते। फिर वो सोचता कि आज कहां जाकर इन्हें बेचे ताकि उसकी पेट की आग बुझ सके। सूरज चावलों से बने कुरकुरे पापड़ बेचता था। यह पापड़ उसे एक बूढ़े बाबा से मिलते थे। जो रोज सुबह उसे कुछ पापड़ उधार दे देते थे और शाम को बिक्री के पैसे ले लेते थे। जितने पापड़ बेचता उतना ही उसका कमीशन होता। कभी-कभी उसके सारे पापड़ बिक जाते तो वह दो वक्त का खाना खा पाता। किसी ठेले से बचा हुआ खाना या फिर किसी ढाबे वाले की दया। लेकिन कई बार ऐसा भी होता कि एक भी पापड़ नहीं बिकता और उसे खुद वही खाकर भूख मिटानी पड़ती। शाम ढलने पर जब थकान हड्डियों में घर कर जाती तो वह फुटपाथ पर किसी कोने में सिकुड़ कर सो जाता। उसकी पूरी दुनिया वही थी सड़कें, दुकानें और वो पापड़ जिनसे उसकी जिंदगी चल रही थी। लेकिन सूरज का दिल कभी किसी को दोष नहीं देता था। उसने अपनी हालत को अपनी तकदीर मान लिया था। लेकिन अपनी सोच को कभी गरीब नहीं बनाया। जब वह स्कूल के सामने खड़ा होकर देखता कि बच्चे साफ सुथरे कपड़े पहनकर क्लास में जा रहे हैं तो उसके मन में कोई हीन भावना नहीं आती। वो सोचता अगर भगवान ने मुझे यह जिंदगी दी है तो इसे बेहतर बनाना मेरे हाथ में है। सूरज यह सोचकर आगे बढ़ता लेकिन उसकी राहें आसान नहीं थी। शहर की भीड़ में हर कोई अपनी जिंदगी में व्यस्त था। लेकिन उसके लिए हर नया दिन एक नई चुनौती लेकर आता। सुबह होते ही वह अपने पापड़ का झोला संभालता और निकल पड़ता। कभी बस स्टैंड, कभी बाजार और कभी स्कूल के सामने। शहर के एक बड़े स्कूल के सामने सूरज अक्सर अपने पापड़ बेचने खड़ा होता। वहां बच्चों की चहल-पहल देखकर उसे अच्छा लगता। वो देखता कि कैसे बच्चे हंसते खिलते बेफिक्री से स्कूल में दाखिल होते। उनकी रंग बिरंगी यूनिफार्म चमकती थी। उनकी पीठ पर नए बैग होते और हाथों में किताबें। कभी-कभी बच्चे उसकी तरफ देखते, कुछ हंसकर चले जाते तो कुछ उसे हैरानी से देखते। एक दिन एक बच्चा उसके पास आया और बोला, तू स्कूल क्यों नहीं जाता? सूरज हल्की मुस्कान के साथ बोला, "मेरी क्लास तो यह सड़के हैं और मेरी किताबें मेरे यह पापड़। बच्चे ने सिर हिलाया और अंदर चला गया। लेकिन सूरज के दिल में कहीं एक टीस उठी। क्या होता अगर उसके पास भी कोई होता जो उसे स्कूल भेजता? क्या होता अगर वह भी किताबों में अपना नाम लिख पाता। लेकिन फिर उसने सिर झटका और खुद को समझाया मेरे पास जो है वही मेरी तालीम है। स्कूल से निकल कर वो मंदिर के सामने आ जाता जहां लोग श्रद्धा से पूजा करने आते थे। लेकिन वहां कुछ ऐसे भी लोग थे जो हर दिन मंदिर के बाहर भीख मांगते थे। यह देखकर सूरज के मन में अजीब सी कशमकश होती। वो सोचता यह लोग अच्छे खासे हैं फिर भी हाथ फैलाते हैं। मैं भी अनाथ हूं लेकिन कम से कम मेहनत तो करता हूं। एक दिन जब सूरज पापड़ बेच रहा था एक भिखारी ने उसे रोका और कहा बेटा तू भीख क्यों नहीं मांगता? लोग तुझे ज्यादा पैसे देंगे। सूरज ने दृढ़ता से जवाब दिया। साहब मैं मेहनत करता हूं। जो मेरे हक के पैसे हैं वही चाहिए। भीख मांगकर जीना मेरी आदत नहीं बन सकती। भिखारी ने उसकी बात पर हंस दिया। लेकिन मंदिर के एक बुजुर्ग व्यक्ति ने यह सुना और पास आकर बोले, बेटा तेरा यह जज्बा ही तुझे आगे बढ़ाएगा। भगवान मेहनत करने वालों का साथ देते हैं। सूरज ने बुजुर्ग की बात को दिल में बसा लिया। रात को जब सूरज फिर से अपने ठिकाने पर सोने के लिए जा रहा था तो सोच रहा था कि जिंदगी उसे हर दिन कुछ सिखा रही थी। लेकिन क्या यह संघर्ष कभी खत्म होगा? क्या कभी उसे भी एक ऐसा दिन देखने को मिलेगा जब भूख से समझौता ना करना पड़े? सुबह हुई। सूरज ने आंखें खोली तो सामने वही भीड़भाड़ भरी सड़क थी। वही हलचल, वही दौड़भा, लेकिन आज उसका मन भारी था। पिछले कुछ दिनों से उसके पापड़ सही से नहीं बिक रहे थे। जेब में सिर्फ कुछ सिक्के बचे थे। आज अगर पापड़ नहीं बिके तो शायद मुझे भूखा ही सोना पड़े। उसने मन ही मन सोचा। आज सूरज ने सोचा कि किसी नए इलाके में जाकर पापड़ बेचे। वह शहर के उस किनारे पर गया जहां समुद्र था। बीच पर लोगों की भीड़ थी। कुछ लोग पानी में खेल रहे थे। कुछ रेत के घर बना रहे थे और कुछ बस मस्ती में घूम रहे थे। सूरज को लगा कि यहां उसके पापड़ जल्दी बिक जाएंगे क्योंकि लोग घूमेंगे, खाएंगे, मौज करेंगे। लेकिन कुछ घंटों तक इधर-उधर घूमने के बाद भी किसी ने एक भी पापड़ नहीं खरीदा। इतने सारे लोग हैं। फिर भी कोई मेरे पापड़ नहीं खरीद रहा। उसने मायूसी से सोचा। वह धीरे-धीरे चलते हुए समुद्र के किनारे बैठ गया। उसकी आंखें लहरों को निहार रही थी। जो बार-बार किनारे से टकरा रही थी जैसे उसे कोई सीख देना चाहती हो। सूरज गहरी सोच में डूबा था कि तभी एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति सफेद कुर्ता पायजामा पहने हुए उसकी तरफ बढ़ा। वह व्यक्ति सूरज के पास बैठ गया और नरम आवाज में पूछा। बेटा तुम यहां अकेले क्या कर रहे हो? सूरज ने एक लंबी सांस ली और धीरे से बोला। साहब पापड़ बेचने आया था पर कोई खरीद ही नहीं रहा। व्यक्ति ने सहानुभूति से उसकी तरफ देखा और पूछा कौन-कौन है तुम्हारे घर में? सूरज हल्की मुस्कान के साथ बोला, कोई नहीं साहब, मैं अकेला हूं। खुद ही कमाता हूं। खुद ही खाता हूं। व्यक्ति थोड़ी देर तक चुप रहा। फिर उसने अपनी जेब से एक ₹500 का नोट निकाला और सूरज की तरफ बढ़ाया। यह रखो बेटा मेरी तरफ से। सूरज ने नोट की तरफ देखा और फिर उस व्यक्ति की आंखों में झांका। उसने धीरे से कहा साहब मेरा एक पापड़ ₹30 का है। अगर आपको लेना है तो सिर्फ ₹30 दीजिए। ₹00 नहीं। व्यक्ति ने चौंक कर पूछा। पर मैं तुम्हें यह पैसे मदद के तौर पर दे रहा हूं। सूरज ने अपना सिर हिलाया। नहीं साहब मैं भीख नहीं लेता। मैं सिर्फ अपनी मेहनत की कमाई खाता हूं। व्यक्ति सूरज के इस जवाब से प्रभावित हो गया। उसने मुस्कुराते हुए कहा, बेटा तुम्हारी ईमानदारी और हिम्मत को सलाम है। तुम जिंदगी में बहुत आगे जाओगे। उसने सूरज को ₹30 दिए और एक पापड़ लिया। फिर उठकर चला गया। लेकिन जाते-जाते एक बार मुड़कर सूरज को देखा जैसे वह कोई अनमोल चीज देख रहा हो। सूरज ने उन ₹30 रुपयों को देखा और एक संतोष भरी मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई। आज भी वह जीत गया था अपनी ईमानदारी की लड़ाई में। समुद्र की लहरें अब भी किनारे से टकरा रही थी। सूरज ने सोचा शायद यह लहरें भी यही कह रही हैं। कोशिश करते रहो चाहे कितनी भी मुश्किलें आए। वह उठा अपना झोला संभाला और अपने अगले ग्राहक की तलाश में आगे बढ़ गया। दोस्तों सच्ची मेहनत और ईमानदारी इंसान को कहीं से भी उठाकर ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है। सूरज ने कभी हालात का रोना नहीं रोया। नहीं भीख मांगी बल्कि अपनी मेहनत पर भरोसा रखा। जब हालात कठिन थे तब भी उसने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया। यही एक सच्चे इंसान की पहचान होती है जो मुश्किलों से घबराता नहीं बल्कि उन्हें अपनी ताकत बना लेता है। अगर हम जीवन में सफलता चाहते हैं तो हमें भी सूरज की तरह संघर्ष, आत्मसम्मान और ईमानदारी का दामन थामे रखना चाहिए। जो मेहंत पर भरोसा करता है, उसकी किस्मत खुद बदल जाती है। दोस्तों अगर आपको यह कहानी पसंद आई और इससे कुछ सीखने को मिला तो हमारे YouTube चैनल ट्रुथ ऑफ लाइफ को सब्सक्राइब करें और ऐसी ही प्रेरणादायक कहानियों के लिए वीडियो को लाइक और शेयर

Motivational Story for student

1) https://youtu.be/ji8lUB6dFfs?si=BDvA4HxhcJbh7Ouy

21 25 या ज्यादा से ज्यादा 30 आप इस उम्र में अमीर बनना चाहोगे या फिर 60 की उम्र में मुझे पता है आप सब लोगों का जवाब है 21 से 30 की उम्र के बीच क्योंकि इस यंग एज में मिलिनेयर बनने का ड्रीम हर किसी का होता है और हो भी क्यों ना असली मजा तो अमीर होने का इसी एज में आता है अब 60 या 70 की एज में अमीर बनकर क्या ही करना है जब आदमी बीमारियों से घिरा होगा अपने लास्ट स्टेज में होगा और उस वक्त रोल्स रॉय में बैठने का क्या ही मजा आएगा लेकिन सोचो कैसा लगेगा इतनी कम उम्र में जब आप रो रयस में घूम रहे होंगे अब सोचो मत इसे करके दिखाओ अब सवाल ये आता है कि करोगे कैसे तो आज के इस वीडियो में मैं आपको पूरा ब्लूप्रिंट तैयार करके देने वाला हूं मिलिनेयर बनने का स्मार्ट लोग इसे बहुत इजली सीखेंगे और आई होप आप सब इस वीडियो को पूरा एंड तक जरूर देखोगे स्टेप बाय स्टेप हम बात करेंगे हाउ टू बिकम एन अर्ली एज मिलेनियर और हां इस वीडियो के एक पॉइंट में मैंने बात की है कि आप बिना दिमाग लगाए अगले 20 साल में कैसे करोड़पति बन सकते हो और हर महीने खुद को लाख रुपए की सैलरी दे सकते हो तो चलिए जानते हैं अच्छा आपको पता है रियल मि मिलिनेयर कौन होता है हु इज अ रियल मिलिनेयर चलिए जानते हैं स्टेप नंबर वन एक्सप्लोरिंग हु इज अ रियल मिलियनेयर दोस्तों पहले ये समझना जरूरी है कि मिलिनेयर होते कौन है कौन है एक रियल मिलिनेयर वो शख्स जिसके टोटल एसेट्स में से सारी लायबिलिटीज को डिडेक्ट करने के बाद अगर वो 1 मिलियन या इससे ज्यादा होते हैं तो उस इंसान को मिलिनेयर बोला जाता है फॉर एग्जांपल अगर आपके घर आपके शेयर्स आपके अदर इन्वेस्टमेंट्स गोल्ड वगैरह इनफैक्ट सारी टेंज बल या इनटेंजिबल एसेट्स को ऐड करने के बाद उसकी वैल्यू 2 मिलियन होती है लेकिन आपने किसी बैंक से से लोन लिया है आपको एंप्लॉयज की सैलरी देनी है और आपको कहीं से एडवांस पेमेंट भी मिला है तो ये सारी लायबिलिटीज कंसीडर करी जाएंगी और इनको ऐड करने के बाद अगर सिर्फ आपके लायबिलिटीज की वैल्यू 1.5 मिलियन होती है तो आप एक मिलियर नहीं हो क्योंकि आपके टोटल एसेट्स थे 2 मिलियन उनमें से 1.5 मिलियन को डिडेक्ट करने के बाद आपके पास बचते हैं सिर्फ 5 लाख जबकि होने चाहिए 1 मिलियन यानी 10 लाख दोस्तों आई होप इस पॉइंट पर आप क्लियर हो चुके हो कि मिलिनेयर होता क्या है और इसको वेल्थ में कैलकुलेट कैसे करते हैं अगले माइल स्टेप्स में आपको धीरे-धीरे वो डिजाइन पता चल जाएगी जिससे आप एक मिलिनेयर बन सकते हो स्टेप नंबर टू लर्न द गेम ऑफ इक्विटी दोस्तों कैश कलेक्ट करके या सैलरी का 20 पर सेव करके कोई अमीर नहीं बना है लोग अमीर बनते हैं इक्विटी का गेम खेलकर इक्विटी बिल्डिंग सीखना जरूरी है और इक्विटी बनाने के मेनली सिर्फ दो ही तरीके हैं पहला तो है कि आप पैसे कमाओ और उससे इक्विटी बनाओ एसेट्स बनाओ या फिर एक इक्विटी से दूसरी इक्विटी बनाओ यहां पर मैं सेकंड टर्म को इंट्रोड्यूस करना चाहूंगा अर्निंग और ओनिंग बहुत बढ़िया कांसेप्ट है समझने में मजा आएगा अर्न करो और ज्यादा से ज्यादा एसेट्स बिल्ड करो फॉर एग्जांपल आप मंथली ₹ लाख कमाते हो तो उसमें से आप 2 लाख को 2 साल तक सेव करो और 50 लाख की प्रॉपर्टी ऑन करो बट आज वही 50 लाख की प्रॉपर्टी 2 साल बाद 55 लाख की होगी तो ऐसे में आप रेस में पीछे रह जाओगे बट एनीहाउ आप इस तरह से पैसे कमाकर एसेट्स ऑन कर सकते हो बट आपको फास्टली मिलिनेयर बनना है तो आपको पहले ऑन करना है और फिर आपको उसी एसेट से अगला एसेट बनाना है सो व्हाट इफ अगर वही ₹ लाख आप सेव करो और 2 साल बाद 50 लाख का एक रेस्टोरेंट स्टार्ट करो और कुछ अदर इन्वेस्टमेंट्स के साथ आपको मं मंथली बेसिस पर उसी रेस्टोरेंट से ₹ लाख की नेट इनकम आने लगे तो इस तरह से आप मंथली 5 55 लाख कमा रहे होंगे जबकि आपके पास रेस्टोरेंट जैसी हैवी प्रॉपर्टी है जिसे आप ऑन कर रहे हो और उसी 2 लाख से आप दोबारा अगला इक्विटी ऑनन करोगे तो इस प्रोसेस से पैसे बनाना और मिलेनियर के स्टेयर को क्लाइंब करना फार इजी है स्टेप नंबर थ्री डोंट डायवर्सिफाई दोस्तों अगर मैं आपसे पूछूं कि आपके पास अभी के टाइम में सबसे वैल्युएबल चीज क्या है तो इसका जवाब होगा टाइम और अटेंशन जब हम बात पैसों की करते हैं तो हमें वहां पर टाइम और अटेंशन ही सबसे ज्यादा देना होता है ऐसे में एक मिस्टेक है जो यूजुअली लोग कर देते हैं वो किसी एक जार को पूरा भरने के बजाय सात जार को एक साथ भरने की कोशिश करते हैं एंड ट्रस्ट मी ये प्रोसेस कहीं भी हेल्प नहीं करता जार को भरने का मतलब यह है कि लोग अपने लिए किसी एक रोड को सेलेक्ट नहीं करते बल्कि अपने लिए मल्टीपल सोर्सेस क्रिएट करने की कोशिश करते हैं और वो भी उस वक्त जब उनके पास एक भी स्ट्रांग सोर्स ऑफ स्टेबिलिटी है ही नहीं लोग सोचते हैं कि मल्टीपल आइडियाज पर काम किया जाए कोई ना कोई तो काम कर ही जाएगा बट द पॉइंट इज कि फर्क नहीं पड़ता कि कोई ना कोई काम कर जाएगा काम तभी करेगा जब आप जिस पर काम करना चाहोगे अब कुछ लोग सोचेंगे कि ये जो आज मिलिनेयर और बिलिनियर इतने सारे बनकर घूम रहे हैं ये भी तो मल्टीपल बिजनेसेस रन करते हैं और हैंडल भी करते हैं तो दोस्तों ऐसा इसलिए है क्योंकि उनका एक बिजनेस बहुत सक्सेसफुल रहा तब उन्होंने दूसरा या तीसरा सोर्स क्रिएट किया और उस पर काम किया लेकिन आपने तो अभी जस्ट शुरू किया है तो आपका टाइम और अटेंशन सिर्फ उस एक जार यानी उस एक सोर्स या बिजनेस पर होना चाहिए जिस पर आप जाने वाले हो एक बार जब वहां से कैश फ्लो होने लगे और वहां से एक हिट डिसीजन प्रूव हो जाए तब आप अगले सोर्स पर जा सकते हो लेकिन तब तक अपने माइंड टाइम और अटेंशन को डायवर्सिफाई नहीं करना है स्टेप नंबर फोर द लॉन्ग गेम दोस्तों लोग समझते हैं कि मिलेनियर बनना शायद रातों-रात पॉसिबल है या फिर बस कोई ट्रिक चलनी चाहिए और आप बन जाओगे मिलेनियर जबकि यह रियलिटी नहीं है ये एक लॉन्ग गेम है इसकी शुरुआत होगी एक स्ट्रांग फाउंडेशन को बिल्ड करने से लेट्स से अगर आपको 10 फ्लोर्स की बिल्डिंग तैयार करनी है तो आप सिर्फ ब्रिक्स और डिजाइन के बेस पर काम करना नहीं शुरू करोगे वरना वो बिल्डिंग ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाएगी पहले आपको उस जमीन की क्वालिटी और एक स्ट्रांग फाउंडेशन को सेटल करना होगा जब हम बात मिलेनियर बनने की करते हैं तो इसमें हमारा फाउंडेशन होता है वो प्रोडक्ट जिससे हम सेल करेंगे यूजुअली इस प्रोसेस में होता यह है कि हम पहले एक प्रोडक्ट को बनाते हैं फिर लोग उसे जान सके इसलिए उसे एडवर्टाइज करते हैं और फिर कुछ नॉन एक्सपीरियंस बिजनेसमैन बस एडवर्टाइज ही रन करते रहते हैं जिससे कि किसी तरह उनकी सेल्स हो जाए बट ऐसा नहीं करना है हमें क्योंकि हम इस वक्त एक लॉन्ग गेम का पार्ट है लोगों को खुद एक दूसरे को फीडबैक देने दो आपके प्रोडक्ट का एडवर्टाइज ंग और मार्केटिंग करनी है बट सिर्फ इसी चीज पर अपना बिजनेस का फाउंडेशन बिल्ड नहीं करना है वरना ये लॉन्ग गेम में काफी प्रॉब्लम क्रिएट कर सकता है दोस्तों कुछ क्वालिटीज हैं जो इस लॉन्ग गेम में अपने अंदर होनी चाहिए जैसे कि पेशेंस क्रिएटिविटी एक्सप्लोर करने की एबिलिटी और लगातार अपग्रेड करने की कैपेसिटी स्टेप नंबर फाइव फाइंड ए हंग्री क्राउड दोस्तों एक ऐसा क्राउड फाइंड करना है आपको आपके बिजनेस के लिए जिससे लोग आपके बिजनेस में बढ़ते ही जाएं बढ़ते ही जाएं इसके लिए मैं आपको एक शॉर्ट फिक्शनल स्टोरी सुनाता हूं तो हुआ कुछ ऐसा कि एक बार एक बिजनेसमैन जिसने नया बरगर का शोप डाला था उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे अपनी सेल्स बढ़ाए उसके इस सिचुएशन को देखते हुए एक जिन प्रकट हुआ और उसने बिजनेसमैन को ऑफर किया कि मैं तुम्हें एक विस करने का मौका देता हूं उस विस में मैं तुम्हें सबसे बढ़िया एडवाइस करूंगा बिजनेसमैन कहता है मुझे ये बताओ कि क्या मुझे अपने बर्गर का प्राइस कम करना चाहिए जिन कहता है नहीं फिर वो बंदा दोबारा पूछता है कि सेल्स बढ़ाने के लिए क्या मुझे अपने बर्गर का टेस्ट बहुत अच्छा करना चाहिए जिन कहता है बिल्कुल नहीं मैं बताता हूं तुम्हें ना हंग्री क्राउड चाहिए ऐसा क्राउड चाहिए जहां पर इसी प्रोडक्ट को कंज्यूम करने वाले लोगों का नंबर बहुत ज्यादा हो भीड़ ज्यादा हो दोस्तों ये वो स्टेप है जो आपको अपना पहला मिलियन बनाने में हेल्प करेगा अगर आपको एक एक हंग्री क्राउड अट्रैक्ट करना है तो इसके तीन बहुत इंटरेस्टिंग तरीके हैं जिन्हें जानना आपके लिए बहुत प्रॉफिटेबल होगा पहले तो वो लोग जो पेन में है मेरे एक दोस्त ने बिजनेस शुरू किया जिसमें उसने एक अट्रैक्टिव रिजू में प्रिंट करना शुरू किया जॉब लेस लोगों को इससे बहुत हेल्प मिली और उसके बिजनेस पर क्राउड भी बहुत है क्योंकि वो लोग जो जबले स है वो दर्द में है इसी तरह मेडिकल सेक्टर में भी लोग पेन में होते हैं ओबवियसली ये एक सर्विस है लेकिन ऑल टाइम भूम पर रहता है दूसरी तरफ आपको आइडेंटिफिकेशन कंपट प्रोडक्ट्स को उन्हीं के सिमिलर प्राइस में बेचो ग तो जाहिर सी बात है आपका दुकान सिर्फ आप ही के एक एंप्लॉई से भरा होगा कोई कस्टमर नहीं आएगा तीसरे वो लोग जो आपके प्रोडक्ट के एक्सपोर्टेड कस्टमर्स हैं इसी तरह फैक्टर सिलेक्शन जरूरी है कि आपके टारगेट कस्टमर्स कौन हैं स्टेप नंबर सिक्स सिलेक्शन ऑफ ऑफर्स फॉर द बिजनेस दोस्तों बिजनेस में एक बहुत बड़ा इंपैक्ट होता है ऑफर का वो ऑफर जो आप अपने कस्टमर को करते हैं और कस्टमर के ऑनेस्ट कंसेंट के बाद वो आपसे डील करते हैं और रिस्पेक्ट में आप उन्हें सेल करते हो और इन रिटर्न आप पैसे लेते हो ऐसे में आप क्या ऑफर कर रहे हो ये पहला इंप्रेशन होगा और ये ऑफर आपके टारगेट कस्टमर्स के लिए कितना वैल्युएबल होगा यही चीज आपके बिजनेस का फ्यूचर डिसाइड करेगी तो इस स्टेप में आपको यह सीखना है कि जब भी आप अपने बिजनेस के लिए ऑफर डिसाइड करो मेक श्योर करना कि आपका ऑफर वैल्यूएबल्स 30 साल के आदमी को दो ऑफर करते हो एक वेट लॉस का और दूसरा करोड़पति बनने का अनडाइन बनना चाहेगा 30 की एज में हैंडसम दिखने का डिजायर लोगों में कम होता है उससे ज्यादा अमीर बनने का होता है तो सेम इसी रूल को अपने बिजनेस में अप्लाई करना है और अपने कोर स्ट्रेटेजी में वैल्युएबल ऑफर्स को इंक्लूड करना है जो आपके बिजनेस की पोजीशन और परफॉर्मेंस दोनों बेटर करेंगी स्टेप नंबर सेवन मार्केटिंग एंड सेल्स दोस्तों मोस्टली टाइम जब भी हम ग्रोसरी रिलेटेड शॉपिंग के लिए डी मार् या कहीं अच्छी जगह पर शॉपिंग करने के लिए जाते हैं और लेट्स से परफ्यूम या कोई और अदर एसेंशियल्स हमें चाहिए होता है तो हम उसे कैसे बाय करते हैं ये बहुत कन्फ्यूजिंग होता है क्योंकि वहां पर मल्टीपल ब्रांड्स या यूं कहे तो ऑलमोस्ट एक ही प्रोडक्ट के बहुत सारे एसिस्टिंग ब्रांड्स वहां होते हैं इस पॉइंट पर हमारा कंफ्यूजन दूर होता है जब हमें याद आता है वो ऐड जो हमने टीवी पर बार-बार देखा होता है कंपनीज ऐसे ही टक सक्स का यूज करके अपने लाखों कस्टमर्स को रेगुलरली मेंटेन करती हैं आप खुद देख पाओगे एक बार के लिए ब्रांड अगर कंजूमिंग है और अगर उसका मार्केटिंग ब्रांडिंग और एडवर्टाइज ंग एक साल के लिए रोक दिया जाए तो उसके सेल्स में हैवी डाउनफॉल दिखेगा मार्केटिंग से सेल्स डायरेक्टली प्रोपोर्शनल है मार्केटिंग का इंपैक्ट जितना ज्यादा होगा सेल्स इंक्रीमेंट उसी रेशो में देखने को मिलेगा इनफैक्ट मार्केटिंग आपके चार मेजर फैक्टर्स को क्लियर करती है और इस क्लियरटीडीएस दोस्तों मार्केटिंग ना सिर्फ हमारी इन क्वेरीज को क्लियर करता है बल्कि मार्केट में रेगुलर सरवाइव करने में भी काफी हेल्प करता है स्टेप नंबर एट कंपाउंडिंग दोस्तों इसे कुछ इस तरह समझेंगे जस्ट बेजिन आपके पास इस वक्त ₹ ज हैं और अगले 1 साल के लिए इस पर 10 पर का आपको रिटर्न इन्वेस्टमेंट मिलता है तो अगले 1 साल बाद इसकी वैल्यू होगी ₹ 1800 यानी 1 साल में आपको ₹ का रिटर्न मिला और वो अब हो गए 8800 आप अगले 1 साल के लिए इसे और रखते हो तो अगला रिटर्न आपको 8000 नहीं बल्कि 8800 पे मिलेगा और इस पे आपको अगले साल 80 ज्यादा मिलेगा और आपके रिटर्न की वैल्यू अगले साल हो जाएगी ₹ 680 तो कंपाउंडिंग कुछ इस तरह से काम करता है अब आपको सबसे सिंपल तरीका बताता हूं अपने पैसे को कंपाउंड करने का कि आपका पैसा कंपाउंड कैसे होगा और वो तरीका है एसआईपी बताता हूं कैसे मान लो लास्ट ईयर आपने सिस्टमिक तरीके से इन्वेस्टमेंट करना शुरू किया जिसे हम एसआईपी बोलते हैं मान लो आप हर महीने ₹1000000 इन्वेस्ट करते हो निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में और यह प्रोसेस आप अगले 20 साल तक करते हो तो अगले 20 साल में आप इ इ वेस्ट कर चुके होंगे ₹ लाख याद रखना ₹ लाख आपने टोटल इन्वेस्ट किए हैं अब आपके मन में सवाल ये आ रहा होगा कि यह पैसा 20 सालों में कितना बन जाएगा तो ये डिपेंड करता है कि रिटर्न कितना मिल रहा है एक बार ये देखिए ये निफ्टी 50 का लास्ट फाइव इयर्स का रिटर्न है जो कि है 95 एवरेज निकालें तो हर साल 19 पर का रिटर्न इसने दिया है लेकिन हम इसे और कम मानकर चलते हैं और हम मानते हैं कि हमें हर साल सिर्फ 15 पर का ही रिटर्न मिलेगा तो पता है 15 पर के रिटर्न के अकॉर्डिंग आपके पैसे 20 सालों में में कितने हो चुके होंगे जी हां ये हो चुके हैं करीब ₹ करोड़ अब एक और इंटरेस्टिंग चीज बताता हूं अब आपको यहां से पैसे निकालने शुरू करने हैं मान लो आप हर महीने ₹1000000 निकालते हो तो भी आपका पैसा कभी खत्म नहीं होगा उल्टा बढ़ता ही रहेगा क्योंकि हम जितना निकाल रहे हैं उससे ज्यादा का हमें हर साल रिटर्न मिल रहा है तो आपका यह कुआ तो कभी खाली नहीं होगा अब कुछ ज्ञानी लोग बोलेंगे कि भाई इंफ्लेशन नाम की भी कोई चीज होती है आज से 20 साल बाद इन पैसों की क्या ही वैल्यू होगी तो मैं आपको बता दूं कि अगर इंफ्लेशन के हिसाब से भी देखा जाए तो अगले 20 साल बाद 130000 की वैल्यू आज के 0000 के बराबर होगी अब कौन नहीं चाहेगा कि उसको बैठे-बैठे 0000 मिलते रहे साथ ही साथ डीमेट अकाउंट में करोड़ रुपए पड़े हो जिसे वो जब चाहे यूज कर सकता है तो दोस्तों ये होती है कंपाउंडिंग की पावर और रियल मिलिनेयर और बिलियनर्स इसी प्रोसेस को अपने एसेट्स और हैवी कैपिटल के साथ लॉन्ग टाइम के लिए एग्जीक्यूट करते हैं क्योंकि कंपाउंडिंग टाइम लेता है 20 या 30 साल बाद आपको बहुत हैवी रिटर्न देता है तो अपने कुछ साइड एसेट्स का यूज आप कंपाउंडिंग में प्रोसेस करके फ्यूचर मिलेनियर इजली बन सकते हो क्योंकि इसमें आपको बहुत ज्यादा टाइम एफर्ट या अटेंशन देना नहीं पड़ता है सीधी सी भाषा में कहे तो आपको कोई दिमाग नहीं लगाना है आप चाहो तो अभी से एसआईपी शुरू कर सकते हो डिस्क्रिप्शन में ग्रो ए का लिंक है जाकर अपना डीमेट अकाउंट बनाओ और इन्वेस्टिंग शुरू करो दोस्तों आई होप आज का यह वीडियो आपको खूब पसंद आया होगा एंड आई एम शोर आपको ऐसी वीडियोस और भी चाहिए होंगी इसके लिए आप हमें कमेंट करके बता सकते हो बाकी जल्द मिलेंगे तब तक के लिए जय हिंद जय श्री कृष्णा

2) https://youtu.be/Mkl2E-iffOM?si=faiVGJlOMErDYDEy

इस दुनिया में चार कैटेगरी के लोग हैं आप कौन सी कैटेगरी में आते हैं कमेंट करके बताना पहले हैं वो लोग जो जिस हालत में पैदा होते हैं वो वैसे ही अपनी जिंदगी गुजार देते हैं मतलब कि वो कुछ नया करने की कोशिश ही नहीं करते दूसरे हैं वो लोग जो कोशिश तो पूरी करते हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलती है और टूटकर बिखड़ जाते हैं और तीसरे हैं वो लोग जिन्हें सफलता मिल तो जाती है लेकिन वो वापस से अपना सब कुछ गमा देते हैं और बुरी तरह टूट जाते हैं या फिर से उठने की कोशिश ही नहीं करते वहीं एक और तरह का इंसान होता है जिसे हमने फोर्थ कैटेगरी में रखा है जिसे मेंटली टफ इंसान कहते हैं अब मेंटली टफ इंसान कैसा होता है ये सुनिए 9 दिसंबर 1914 थॉमस अल्वा एडिसन की फैक्ट्री में जब आग लग रही थी उनकी सालों की मेहनत जलकर राख हो रही थी तो एडिसन साहब और उनका 24 साल का बेटा दूर खड़े ये सब देख रहे थे उन्हें पता था कि सब कुछ खत्म हो चुका है 23 मिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है लेकिन उसके बावजूद भी एडिसन साहब ने मुस्कुरा कर कहा कि अच्छा हुआ मेरी सारी गलतियां जलकर राख हो गई अब मैं नई शुरुआत करूंगा ये होती है मेंटल टफनेस ऐसे होते हैं मेंटली स्ट्रांग पीपल जो बुरे से बुरे हालातों में भी खुद को संभाल लेते हैं और वापस उसी तरह अपना साम्राज्य खड़ा कर देते हैं अब अगर आपको भी इस तरह का मेंटली स्ट्रांग इंसान बनना है तो इस वीडियो में जो पांच हैबिट्स मैं आपको बताऊंगा उन्हें ध्यान से सुनना और फॉलो करना लेकिन पहले आप मुझे कमेंट्स में ये बताओ कि ये वीडियो आप तक कैसे पहुंचा ऐसा मैं इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि अगर आप ये सर्च करते हो कि हैबिट्स ऑफ मेंटली स्ट्रंग पीपल तो आपको सामने चार से पांच वीडियोस दिखेंगी देखो इस वीडियो को जब मैं बनाने के प्रोसेस में था तब प्रॉपर रिसर्च करने के लिए मैंने हर एक वीडियो के इंग्रेडिएंट्स को टेस्ट किया सबसे पहले मैंने एक वीडियो देखा जिस पर 20 मिलियन व्यूज है जब मैंने फर्स्ट इंप्रेशन में इस वीडियो को देखा देखा तो मैंने एक वक्त के लिए सोचा कि इस टॉपिक पर वीडियो नहीं बनाते हैं रीजन सिंपल सा है कि जब दो करोड़ लोगों को इसका आईडिया पहले से है तो मैं इस पर दोबारा काम करके अपना वक्त क्यों बर्बाद करूं लेकिन फिर मैंने सोचा कुछ तो छोड़ा होगा इसने कहीं तो इस भाई ने कुछ तो मिस किया होगा लिटरली जब मैंने वीडियो देखा तब रियलाइफ हुआ भाई ने कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ मिस किया है प्रेजेंटेशन और बेहतर हो सकता था लेकिन वही गिसे पीठे बोर करने वाले पॉइंट्स कि ये कर लो वो कर लो देखो पता सबको है कि क्या करना है लेकिन क्या कोई करता है नहीं लोगों को ये जानना है कि कैसे करना है फिर मैं ने कूल मित्रा की वीडियो देखी जो मुझे बहुत सही लगी बट आई फील एक 18 मिनट की वीडियो कई रूट प्रॉब्लम्स पर बात कर सकती थी क्योंकि लोगों को आदतें ही जाननी होंगी तो लोग google3 आर बस यह बात थी और मैं बिना बात परेशान हो रहा था दुर्भाग्य यह है कि ऐसी वीडियोस बहुत कम बनती है सीकन और मिस्टर प्रोटोन इन टॉपिक्स पर कमाल का काम करते हैं जिसे पर्सनली मैं भी एप्रिसिएशन करता हूं खैर बाकियों की तो रिस्पांसिबिलिटी नहीं ले सकता लेकिन अगर आप इस वीडियो पर आए हो तो आपको 100% खुश करके भेजना मेरी जिम्मेदारी है अब क्योंकि लोगों का आज के टाइम पर अटेंशन स्पैन छोटा हो चुका है और मैं भी ये चीज मानता हूं कि अगर कम समय में किसी क्रिटिकल चीज को बहुत बेहतर तरीके से समझा जा सकता है तो उससे बेहतर दूसरा कोई टैलेंट नहीं हो सकता तो आइए दोस्तों कोशिश करूंगा कम से कम समय लेने की आज के इस वीडियो में मैं बात करूंगा कुछ ऐसी आदतों के बारे में जो मजबूत मानसिकता वाले लोगों में होती है और उन्हीं आदतों को बताने के साथ-साथ मैं कुछ कॉमन गलतियों को भी रेक्टिफाई करूंगा जो इंसान को मेंटली वीक करती है चलिए जानते हैं हैबिट नंबर वन सम टाइम्स मेंटल स्ट्रेंथ कम्स नेचुरली मैंने एक दो वीडियोस में ये भी कहते हुए सुना कि यार कोई इंसान मां के पेट से मेंटली स्ट्रांग बनके थोड़ी आता है बात सही है लेकिन कुछ लोगों का शुरुआती एक्सपीरियंस ही ऐसा भयानक हो जाता है ना कि वो बहुत कम एज में ही बहुत ज्यादा मेंटली रिलैक्स्ड रहने लग जाते है ये गुड और बैड दोनों ही वे में हो सकता है अब जैसे पहली बार किसी बंदे का पुलिस स्टेशन का चक्कर लग गया तो कसम से वो रातों तक सो नहीं पाएगा ढंग से वहीं जो बंदा किसी जुर्म में 5 साल की जेल काट के आया हो उसको घंटा फर्क नहीं पड़ेगा पुलिस वाले के होने ना होने या फिर दोबारा जेल जाने से खैर यह तो मैंने कुछ बड़े लेवल की बात बोल दी लेकिन मायने इसके कुछ इसी तरह के हैं जब लड़का पैदा होगा तो उस वक्त वो जिन हालातों में पलेगा उन्हीं हालातों का गहरा दाग कहीं ना कहीं उसके मेंटालिटी पर छप जाएगा और इस दाग को पूरी तरह हटने में सालों लग जाएंगे कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके साथ उनके बोन टाइम से ही एक मेंटल स्ट्रेंथ होती है जिससे वो अपनी उम्र के दूसरे लोगों के मुकाबले मेंटली बहुत स्ट्रांग और मैचोर होते हैं वो कहावत आपने सुनी होगी ना अमीर आदमी जिस टेंशन में सुसाइड करता है गरीब और मिडल क्लास लोग हर दिन उतना टेंशन लेकर घूमते हैं तो बस ये कुछ वही वाली बात है हैबिट नंबर टू दे आर प्रोसेस ओरिएंटेड नॉट रिजल्ट ओरिएंटेड मैंने कई लोगों पर थोड़ा टाइम देकर स्टडी किया जिसमें से एक सबसे बेहतर एग्जांपल लेता हूं महेंद्र सिंह धोनी कितने साफ और मेंटली स्ट्रांग है ये दुनिया ने 20 सालों तक हजारों बार देखा है जब मैच हारने के कगार पर हो बॉलर फील्डर यहां तक कि कोच के भी पसीने छूट रहे हो तब भी धोनी विकेट्स के पीछे ना केवल शांत रहते थे बल्कि पूरा मैच निकाल लेते थे वो वैसे तो ज्यादा इंटरव्यूज करते नहीं है लेकिन उन्होंने जितने भी इंटरव्यूज किए हैं उन सब में उनका एक कॉमन स्टेटमेंट रहा है कि वो ज्यादा रिजल्ट के बारे में नहीं सोचते और ना ही फ्यूचर की ज्यादा परवाह करते हैं बचपन में कभी भी उन्होंने नहीं सोचा था कि वो इंडियन टीम के लिए खेलेंगे ये बहुत दूर की बात थी उनका बेसिकली मकसद होता था अपने आज और कल के मैसेज में कंसंट्रेट करना एगजैक्टली यही चीज हर मेंटली स्ट्रांग बंदा करता है और मजे की बात यह है कि यह करना ज्यादा मुश्किल भी नहीं है बस दो दिन प्रैक्टिस के बाद आप इसको तुरंत अपना लोगे ध्यान रिजल्ट पर नहीं प्रोसेस पर होना चाहिए देखो काम खत्म करके पैसे मिलेंगे वो अलग बात है लेकिन मैं इस काम को कैसे बेहतर से बेहतर कर सकता हूं फिलहाल इसके बारे में सोचना है पेस्ट्री को पेन में उतारने के बाद जब बनेगा तब कितना मस्त लगेगा ये मत सोचो बल्कि समय देकर तुम कितना अच्छा पैन केक बना सकते हो उस पर ध्यान दो फाइनल एग्जाम में क्या लिखोगे 12वीं के बाद क्या करोगे ये सबकी चिंता करना एकदम फिजूल है सोचना है तो बस इसके बारे में सोचो कि साला अभी जो अगले हफ्ते टेस्ट है उसमें कितना अच्छा परफॉर्म किया जा सकता है प्रोसेस पर काम करके इस पर ध्यान देना आपको ज्यादा हेल्प करेगा एज कंपेरटिवली रिजल्ट के बारे में सोचकर खयाली पुलाव पकाने के और यही हर मेंटली स्ट्रांग बंदा एग्जीक्यूट करता है हैबिट नंबर थ्री दे डू देयर पर्सनल केयर ये एक बहुत कमाल की आदत होती है मेंटली स्ट्रांग लोगों में कि वो खुद की केयर करना जानते हैं उन्हें पता होता है कि वो खुद को कैसे प्रोटेक्टेड और खुश रख सकते हैं उनके लिए क्या सही है क्या गलत है ये बात भी वो बहुत अच्छे से जानते हैं आपने भी कई बार नोटिस किया होगा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं ना जो खुद को लेकर बहुत केयरिंग होते हैं कि रास्ते पर चलते-चलते पानीपुरी या सेवापुरी का ठेला लगा दिखा आप तुरंत वहां गए उसको खाने के लिए और आपके साथ मान लो वो शख्स भी है अब आप उससे कितना भी फोर्स कर रहे हो लेकिन वो नहीं खाएगा रूडली नहीं बल्कि प्यार से ही सही मगर वो नहीं खाएगा तो नहीं खाएगा रीजन सिंपल सा है जो भी चीजें एक मेंटली स्ट्रांग बंदे को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट वे में अफेक्ट करती हैं वो उसे करने से साफ-साफ मना कर देगा उन्हें अपने आप से ज्यादा मतलब होता है वो खुद की ज्यादा परवाह करते हैं वो दूसरों के प्रेफरेंसेस जानने से ज्यादा खुद के और अपने लोगों के प्रेफरेंसेस का ख्याल रखते हैं और यही वजह है कि वो दूसरे लोगों से ज्यादा खुश रहते हैं हां जी तो ये एक बहुत बड़ी कमाल की आदत आप भी अपना सकते हो कि हमको खुद का पर्सनल केयर ज्यादा करना है दूसरों पर नहीं बल्कि खुद पर ध्यान देना है इससे आप कई तरह के मेंटल सफरिंग से बच जाएंगे हैबिट नंबर फोर दे डोंट ओवरथिंक कुछ सालों पहले जब मैं अपने कॉलेज डेज में था तब ऑल इंडिया के एक बहुत बड़े प्रोफेसर एक मोटिवेशनल सेमिनार के लिए हमारे कॉलेज कैंपस में आए थे वहां उन्होंने मेंटल स्ट्रेंथ को सबसे ऊपर बताया था और इसी से रिलेटेड उन्होंने एक बहुत ही कमाल की बात कही थी जो मैं आपसे भी शेयर करता हूं उन्होंने कहा था कि सक्सेसफुल एंड मेंटली स्ट्रांग पीपल थिंक एज अपोजिट फेल माइंड्स ओवर थिंग जिसका मतलब हुआ कि सफल और जो लोग मेंटली स्ट्रांग होते हैं वो बस सोचते हैं वो प्रॉब्लम्स और सॉल्यूशंस को फाइंड करने की कोशिश करते हैं नए आइडियाज पर वर्क करते हैं जिससे उनकी प्रोडक्टिविटी और काम का प्रोसेस इंप्रूव होता है जबकि फेलियर लोग मेंटली कमजोर लोग बहुत ज्यादा सोचते हैं जो यूजलेस होता है जिसका कोई मीनिंग नहीं होता है जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता है दिमाग को हल्का रखने का बस एक ही तरीका है कि चाहे जो हो जैसे हो बहुत लिमिटेड सोचो और जब भी सोचो पॉजिटिव ही सोचो वैसे भी जब ये बात हमको पता है कि जो भी आदमी ओवरथिंक करता है पता नहीं कहां-कहां से बुरे ख्याल पालता है असल जिंदगी में उसका 90 पर कभी होता नहीं है तो बस करो ना यार चिल करो और मस्त रहो हैबिट नंबर फाइव फोकस ऑन वन थिंग एट ए टाइम एक बार में सिर्फ एक ही चीज पर फोकस करते हैं वो लोग जो बहुत इंटरेस्टिंग और स्ट्रांग माइंड सेट के होते हैं दिमागी तौर पर मजबूत लोग कम गलतियां करते हैं जिससे उन्हें अफसोस भी कमी होता है लेकिन इसकी वजह है कि वो लोग एक बार में सिर्फ एक ही चीज पर फोकस करते हैं यह सलाह मैं आपको भी दूंगा कि हमेशा एक बार में एक ही चीज पर फोकस करो इससे फेल होने के चांसेस बहुत कम हो जाएंगे और उसमें सफलता हासिल करने के ज्यादा होंगे देखो मेंटली स्ट्रांग लोग भले ही मल्टीटास्किंग करें लेकिन जब वो अलग-अलग स्लॉट में अपने अलग-अलग काम कर रहे होते हैं तो उनका ध्यान बस उसी काम पर होता है जिससे उन्हें पर्सनल सेटिस्फैक्ट्रिली जो मेंटली स्ट्रांग लोग बहुत सीरियसली अपनी जिंदगी में अपनाते हैं इससे आप अभी के मुकाबले प्रैक्टिकल लाइफ में बहुत ज्यादा मेंटली स्ट्रांग हो सकेंगे एंड इससे अच्छी बात और क्या ही होगी खैर मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में तब तक के लिए जय हिंद जय श्री कृष्णा

3) https://youtu.be/6TQVMGWyOwU?si=af9mD0Zc3WWcaFmi

मुंबई में रहने वाला एक मिडिल क्लास लड़का जो एक बैंक में जॉब करता है जिसकी सैलरी है सिर्फ ₹ 6000 जिसने बैंक से ₹ 66000 का लोन ले रखा है और जिसकी ईएमआई वो अपने फाइनेंशियल कंडीशंस के चलते नहीं भर पा रहा है जिन लोगों से उसने कर्जा ले रखा है वो भी उसकी बेइज्जती करके जाते हैं हालत इतनी खराब हो जाती है कि उसके पास अपने बेटे को खाना खिलाने के भी पैसे नहीं बचते हैं और फिर वो कुछ ऐसा करता है कि सिर्फ अगले दो सालों में अपने बैंक अकाउंट में 100 करोड़ से भी ज्यादा की सेविंग कर लेता है अब ये ₹1 करोड़ इसके अकाउंट में कहां से आते हैं क्या ये इसकी मेहनत के हैं या फिर चोरी करता है और इससे हमको कौन-कौन से लेसन सीखने को मिलते हैं चलिए जानते हैं लेकिन यह बताने से पहले मैं आपको बता दूं कि मैं आप सबके लिए इस वीडियो में एक गिव अवे लेकर आया हूं जिसमें 50 लोग विनर्स होंगे गिव अवे की डिटेल वीडियो के लास्ट में बताऊंगा पहले जानते हैं कि उसने 100 करोड़ बनाए कैसे देखो लड़के का नाम है भास्कर जो हर दिन एक जंग लड़ता है अपनी जिंदगी से क्योंकि वह एक-एक पैसे को बचाकर भी अपने घर का खर्चा नहीं चला पाता है भास्कर प्रॉब्लम्स के बारे में तो लखपति है लेकिन फंड्स के बारे में भिखारी है वह मुंबई के एक छोटी सी कॉलोनी में रहता है जहां पर हर कोई उसका इंतजार करते रहता है इसलिए नहीं कि वह सबका चहेता है बल्कि इसलिए क्योंकि उसके ऊपर सबकी उधारी होती है भास्कर की फाइनेंशियल कंडीशन के चलते उसके परिवार को प्यार और इज्जत दोनों ही नहीं मिल पाता है क्योंकि वह जब भी किसी के पास जाता है तो उन लोगों को ऐसा ही लगता है कि यह वापस पैसे मांगने आया है भास्कर का एक सपना होता है एक सेकंड हैंड कंडीशन क्या है लेकिन उसे समझ नहीं आता है कि आखिर वो ऐसा क्या करें जिससे वो इस मिडिल क्लास के ट्रैप से बाहर निकल सके जैसे कि मैंने आपको बताया है कि भास्कर बैंक में कैशियर की पोस्ट पर काम करता है और इसके लिए उसे ₹ 6000 मिलते हैं लेकिन इससे उसका खर्चा नहीं चलता है तो वह बैंक के पास वाले कैफे में एक साइड इनकम का भी काम करता है बैंक में आने वाले कस्टमर के थ्रू क्योंकि बैंक में आने वाले काफी लोग ऐसे होते हैं जिनको चेक तक भरना नहीं आता है तो भास्कर उन लोगों की मदद करता है चेक्स एंड लोन एप्लीकेशन को भरकर उसके बदले में वो उनसे कुछ पैसे लेता है लेकिन वह चोरी छुपे यह काम भी करता है ताकि उसके परिवार का खर्चा चल सके लेकिन इतना कुछ करने के बावजूद भी वह अपने घर की कंडीशन को नहीं सुधार पाता है भास्कर फिर भी हार नहीं मानता है वह अपने इस सफर को जारी रखता है और उसके इस सफर में जो उसका सबसे बड़ा साथी होता है वो होता है उसकी वाइफ भास्कर की जिंदगी में यही एक ऐसा इंसान है जो उसको हर प्रॉब्लम से निकालने का हौसला देता है उसको मोटिवेट करता है और अपनी वाइफ का यह प्यार देखकर उसका सारा स्ट्रेस गायब हो जाता है लेकिन भाई सिर्फ स्ट्रेस गायब होने से प्रॉब्लम खत्म नहीं होती है भास्कर की फाइनेंशियल कंडीशन दिन बदन खराब होती जाती है लेकिन भास्कर चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता है फिर एक दिन भास्कर की जिंदगी में एंट्री होती है एंथनी नाम के एक शख्स की जो उसकी लाइफ को पूरी तरह बदल कर रख देता है क्योंकि एंथनी का बिजनेस होता है इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट का लेकिन पैसों की वजह से उसका यह बिजनेस ठप हो जाता है तो एंथनी भास्कर के पास आता है और उसे अपनी सारी प्रॉब्लम बताता है और कहता है कि अगर वो उसे कहीं से भी पैसे लाकर देता है तो वह अपने प्रॉफिट का कुछ परसेंट हिस्सा उसको देगा भास्कर के पास भी अपनी गरीबी को मिटाने का और कोई चारा नहीं था तो इसलिए वह अपने रिस्क पर जैसे-तैसे जुगाड़ करके एंथनी को बैंक से इलीगल तरीके से पैसे लाकर देता है और काम पूरा होने पर एंथनी भी अपने वादे के अकॉर्डिंग भास्कर को अपने प्रॉफिट का कुछ परसेंट देता है और बिजनेस की इस पार्टनरशिप से भास्कर की जिंदगी अचानक से बदल जाती है वो अपनी सारी प्रॉब्लम को खत्म कर लेता है और एक अच्छी जिंदगी जीने लगता है क्योंकि इंपोर्ट एक्सपोर्ट के इस बिजनेस से एंथनी और भास्कर दोनों को ही बहुत बड़ा प्रॉफिट होता है लेकिन उनका यह बिजनेस इल्लीगल होता है क्योंकि भास्कर चोरी छुपे बैंक से पैसे लाता है और सुबह होने से पहले ही उन पैसों को दोबारा से बैंक में रख देता है यानी कि अगर देखा जाए तो वह अपने रिस्क पर यह बिजनेस करता है लेकिन इस एक रिस्क की वजह से उसकी पूरी जिंदगी बदल जाती है ऐसे ही टाइम बीतता है और फिर भास्कर एक बहुत बड़ा स्कैम करता है बैंक के साथ जिसमें वो कुछ लोगों के साथ मिलकर बैंक के पैसों को शेयर मार्केट में यूज करता है एक्चुअली में वो मार्केट को मैनिपुलेट करते हैं और ऐसे करके ये करीब ₹1 करोड़ अपने अकाउंट में जमा कर लेता है वो एक बहुत बड़ा आदमी बन जाता है एक लग्जरी लाइफ जीता है लेकिन जब उसे समझ आता है कि वह बहुत गलत कर रहा है अपने सुकून के लिए वो लोगों की जिंदगी से खेल रहा है है तब वो ये सारा काम बंद करके फॉरेन चला जाता है और वहां एक सुकून की जिंदगी जीता है देखो अगर आप थोड़ा भी इंटरनेट पर एक्टिव रहते हो तो आपको पता चल चुका होगा कि मैं बात कर रहा हूं लकी भास्कर मूवी के भास्कर कुमार की जिससे हमें सात लेसन सीखने को मिलते हैं अब आप बोलोगे कि त्रिलोक भाई इस मूवी में तो भास्कर एक इल्लीगल काम करके लग्जरी लाइफ जीता है अपने मिडिल क्लास ट्रैप को ब्रेक करता है तो इससे हम भला क्या ही सीख सकते हैं तो भाई सुनो इन लाइफ लेसन से मैं आपको यह सजेस्ट नहीं करूंगा कि आप एक इल्लीगल काम करके लग्जरी लाइफ जियो बल्कि मैं आपको इस मूवी को वो पॉजिटिव मिरर दिखाऊंगा जो आप लोग नहीं देख पाए लेसन नंबर वन सपनों के पीछे भागो बहनों के पीछे नहीं भास्कर की जिंदगी की शुरुआत कुछ खास नहीं थी एक सिंपल नौकरी ₹ 6000 की सैलरी पैसों की तंगी और घर का खर्चा लेकिन उसने हर पल अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश की यह सब उसके लिए आसान नहीं था लेकिन उसके पास एक सपना था और उसने उसे अपनी जिंदगी का गोल बना लिया भास्कर का सपना था अपने परिवार को एक अच्छी जिंदगी देना एक सेकंड हैंड उसने हर संभव मेहनत भी की अगर वो चाहता तो वो भी बहुत सारे बहाने बना सकता था लेकिन उसने नहीं बनाए बल्कि अपने सपनों के पीछे भागा इससे हमें यह लेसन सीखने को मिलता है कि जब आप अपने सपने के पीछे भागते हो तो दुनिया के सारे बहाने खुद ब खुद तुम्हारे सामने आ जाते हैं लोग तुम्हें रोकने की कोशिश करते हैं डिमोटिवेट करते हैं लेकिन उस वक्त तुम्हें हार नहीं माननी है बल्कि अपने सपनों के पीछे भागना है और तब तक भागते रहना है जब तक कि उन्हें पूरा ना कर लो लेसन नंबर टू हर मुश्किल के बाद एक नई शुरुआत होती है भास्कर की जिंदगी में कई ऐसे मौके आए जब उसने सोचा था कि अब कुछ नहीं हो सकता परिवार का बढ़ता खर्चा लोन की ईएमआई और रोज की बढ़ती प्रॉब्लम्स इन सबने उसे मेंटली पूरी तरह से तोड़कर रख दिया था लेकिन उस समय भास्कर ने गिव अप करने के बजाय खुद से एक सवाल किया क्या मैं इस हालात में सुधार नहीं ला सकता और यही सवाल उसकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बना अगर तुमने मूवी देखी है तो तुम्हें अच्छे से याद होगा जब पैसे नहीं देने की वजह से पटेल भाई भास्कर का स्कूटर उससे जबरदस्ती छीन कर ले जाता है और ठीक उसी टाइम पर भास्कर की जगह सुधीर को बैंक में असिस्टेंट मैनेजर बना दिया जाता है यानी कि एक साथ भास्कर ने दो-दो प्रॉब्लम्स को फेस किया लेकिन उसके बाद उसके सामने एक नई अपॉर्चुनिटी आती है एंथनी के साथ बिजनेस करने की सोचो अगर भास्कर असिस्टेंट मैनेजर बन जाता तो क्या वह कभी एंथनी के साथ इल्लीगल बिजनेस करता यानी कि मेरे भाई कहने का मतलब है कि जब आपको ऐसा लगे कि अब सब कुछ हाथ से निकल चुका है मुश्किलों ने आपको घेर लिया है तब यह समझो कि कोई ना कोई बड़ी अपॉर्चुनिटी आपके पास आने वाली है नंबर थ्री दूसरों की बातों पर नहीं अपने वादों पर विश्वास रखो भास्कर ने हमेशा अपनी फैमिली के लिए कुछ बेहतर करने का प्रॉमिस किया हर पल अपनी फैमिली को अच्छी लाइफ देने के लिए उसने खुद को प्रॉब्लम्स में डाला उसने लोगों की बातों पर नहीं बल्कि खुद के वादों पर विश्वास रखा आपको मूवी का वो सीन तो याद ही होगा जब भास्कर maruti's करर ने अपने दोस्त की इस बात का बुरा नहीं माना बल्कि कुछ टाइम के बाद अपने सपने को हकीकत में बदल कर दिखाया उसने बैंक का कर्ज भी चुकाया और अपनी फेवरेट कार को भी खरीद लिया क्योंकि उसे अपने सपनों पर पूरा विश् विश्वास और वादों पर यकीन था इसलिए मेरे दोस्त जो तुम करना चाहते हो भले ही लोग कुछ भी कहे लेकिन अगर तुम्हें अपने सपनों पर विश्वास है तो लोगों की बातों पर नहीं बल्कि अपने सपने पर ध्यान दो तुम कर लोगे ये लेसन हमें लकी भास्कर से सीखने को मिलता है लेसन नंबर फोर मुश्किलें आएंगी लेकिन उन्हें अवसर में बदलना आपका काम है भास्कर की लाइफ में कई बार पैसों की कमी ने उसे घेर लिया था लेकिन उसने इसे प्रॉब्लम नहीं माना बल्कि एक अपॉर्चुनिटी माना उसके पास कुछ भी नहीं था फिर भी उसने अपने टैलेंट और रिस्क के दम पर अपनी हर प्रॉब्लम को सॉल्व किया यहां से यह सीखने को मिलता है कि जब आपकी जिंदगी में मुश्किलें आती हैं तो वो आपको तोड़ने के लिए नहीं बल्कि और भी मजबूत बनाने के लिए आती है एक प्रॉब्लम के रूप में और इन प्रॉब्लम्स को अपॉर्चुनिटी में बदलना आपका काम है लेसन नंबर फाइव किस्मत भी उनका साथ देती है जो मेहनत करते हैं भास्कर की जिंदगी का एक इंपोर्टेंट पार्ट उसकी मेहनत था भास्कर के पास बहुत सारे ऑप्शंस नहीं थे लेकिन उसके पास एक ऑप्शन हमेशा था और वो है हार्ड वर्क करना और भास्कर ने इस ऑप्शन को कभी नेगलेक्ट नहीं किया उसने अपनी मेहनत को कभी कम नहीं होने दिया और यही रीजन है कि वह नी जिंदगी में हारते हारते कब कामयाब हो गया उसे पता भी नहीं चला इसलिए जितना हो सके उतनी ज्यादा मेहनत करो क्योंकि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती है और बात रही किस्मत की तो यह भी उन्हीं का साथ देती है जो मेहनत करते हैं जो अपनी लिमिट को ब्रेक करते हैं इसलिए अपना 100% दो और उसके बाद उसे किस्मत पर छोड़ दो लेसन नंबर सिक्स आपकी सोच आपकी असली ताकत है भास्कर ने जो कुछ अपनी जिंदगी में सोचा था उसने वो सब हासिल भी कर लिया क्योंकि जैसा हम सोचते हैं हम उसी तरह से काम करने लग जाते हैं वैसे ही एक्शन लेने लग जाते हैं कहने का मतलब है कि जो हम सोच सकते हैं हम उसे पूरा भी कर सकते हैं बस आपके अंदर कंसिस्टेंसी के साथ हार्ड वर्क करने की ताकत होनी चाहिए भास्कर की जिंदगी से हमें यह सीखने को मिलता है कि आपकी सोच आपकी असली ताकत है जितना बड़ा आप सोच सकते हो सोचो और फिर उस पर हद पार मेहनत करो एक ना एक दिन वो चीज आपके कदमों में होगी लेसन नंबर सेवन जिंदगी एक फिल्म की तरह है और इसे ब्लॉकबस्टर बनाना आपकी जिम्मेदारी है अब मैं आपसे यह तो नहीं बोलूंगा कि जिंदगी सच में एक फिल्म की तरह है नहीं भाई ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि फिल्म पहले से ही स्क्रिप्टेड होती है कि कब क्या होगा लेकिन रियल लाइफ में ऐसा कुछ नहीं होता है रियल लाइफ में कब कैसा यूटर्न आ जाए कोई पता नहीं है लेकिन यहां एक बात बिल्कुल सच है कि हिंदी फिल्मों की तरह रियल लाइफ में भी एक दिन सब कुछ सही हो जाता है बस हमें पेशेंस रखने की जरूरत होती है दोस्तों अब बात करते हैं गिव अवे की इसमें आपको सिर्फ हमें सभी सोशल मीडिया अकाउंट जैसे आपको इस वीडियो के नीचे एक अच्छा और यूनिक कमेंट भी करना है अच्छा अब इसमें जो 50 विनर होंगे उन्हें मिलेगा क्या तो देखो पहले दो विनर को रिच डेड एंड पुअर डेड की ये बुक दी जाएगी इसके बाद बचे हुए 48 लोगों को टाइम मैनेजमेंट की हमारी ये बुक पीडीएफ के फॉर्मेट में दी जाएगी और विनर्स की सभी जानकारी

4) https://youtu.be/mE3txj5aSKA?si=RqOlUhrhyT15mFOn

आप खुद को जीनियस मानते हो या बेवकूफ समझते हो वीडियो के नीचे कमेंट करके बताना और फिर वीडियो देखने के बाद ना उस कमेंट का रिप्लाई करके बताना कि आपका कमेंट सही था या गलत हां तो अगर आप एक ऐसे इंसान हो जो बोलता बहुत कम है लेकिन सोचता बहुत ज्यादा है वीक में तीन दिन अच्छे से काम करता है और फिर चार दिन तक लेजी फील करता है भीड़ में जाना जिसको पसंद नहीं है और अकेले रहने से अच्छा उसके लिए कोई ऑप्शन नहीं है तो आप मानो या ना मानो लेकिन आपके अंदर ना एक हिडन जीनियस बैठा है क्योंकि आप ही की तरह इस दुनिया में काफी सारे ऐसे फिलोसोफर एंड साइंटिस्ट हुए हैं जिनके अंदर भी कुछ इसी तरह की क्वालिटीज थी और उन्होंने इस दुनिया के सामने वो काम करके दिखाए जो नामुमकिन थे सिर्फ इसी जीनियस माइंडसेट के कारण इस दुनिया के सबसे तेज दिमाग वाले लोगों में एक खास बात होती है कि उनके अंदर कुछ ऐसी क्वालिटीज होती हैं जो उन्हें लोगों से अलग बनाती है लेकिन एक आम इंसान उनकी इन क्वालिटीज को कभी समझ नहीं पाता है और यही रीजन है कि पूरी दुनिया स्टार्टिंग में उनको पागल ही समझती है फिर चाहे वो अल्बर्ट आइंस्टीन हो अलोन मस्क हो या फिर निकोला टेस्ला हो आज के इस डियो में मैं आपको आठ ऐसे साइंस बताने वाला हूं जो ये बताते हैं कि तुम एक जीनियस हो या फिर नहीं और अगर आज तुम इस वीडियो को कंप्लीट वच करते हो तो आज तुम्हारी मुलाकात अपने अंदर के एक हिडन जीनियस से हो हो सकती है नहीं तो शायद आप कभी उस इंसान से मिल ही नहीं पाओगे जो तुम्हारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता था अपने सपनों को पूरा करने के लिए तो चलो फिर जीनियस लोगों की तरह बिना टाइम वेस्ट किए उन आठ क्वालिटीज के बारे में जानते हैं जो एक आम इंसान को एक जीनियस इंसान बनाती है नंबर वन नाइट आउट अगर आप एक ऐसे इंसान हो जिसको रात में जागना पसंद है जिसको अपने गोल्स पर रात के टाइम पर काम करने में मजा आता है जो रात के समय में एनर्जेटिक फील करता है तो ये क्वालिटीज आपको एक जीनियस इंसान बनाती है लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि अगर आप देर रात तक जाकर फोन देख रहे हो तो आप एक जीनियस इंसान हो मेरे कहने का मतलब है कि अगर आपको अपने प्रोजेक्ट्स पर अपने गोल्स पर अपने ड्रीम्स पर रात में काम करने में मजा आता है ना तो आप एक जीनियस हो क्योंकि यही क्वालिटी नामुमकिन को मुमकिन बनाने वाले अलोन मस्क में पाई जाती है एलोन मस्क का मानना है कि उनका दिमाग रात के टाइम पर ही ज्यादा फोकस्ड और क्रिएटिव होता है और वो अपने सारे डिसीजंस रात के समय में ही ज्यादा लेते हैं क्योंकि इस टाइम पर वो ज्यादा फोकस्ड होकर किसी भी चीज के बारे में सोच पाते हैं अपने दिल और दिमाग को अच्छे से कंट्रोल कर पाते हैं और जब कोई इंसान अपने इमोशंस को कंट्रोल करके कोई डिसीजन लेता है ना तो समझो वो डिसीजन एक जीनियस इंसान ने लिया है और शायद एलोन मस्का यही रात में जाकर काम करना उनकी सक्सेस का सबसे बड़ा रीजन है तो अगर आप भी देर रात तक जाकर काम करते हो और सुबह थोड़ी देरी से उठते हो तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है लोग चाहे कुछ भी कहीं आपको फर्क नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि आप एक जीनियस इंसान हो नंबर टू लेस स्पीकर एंड मोर थिंकर अगर आपको ऐसा लगता है कि आप एक ऐसे इंसान हो जो बोलता बहुत कम है लेकिन सोचता बहुत ज्यादा है और इसी कारण वो लोगों को पसंद नहीं आता है क्योंकि वो हमेशा सोचता ही रहता है अपने दिमाग में ही खोया रहता है तो भाई कांग्रेचुलेशन क्योंकि ये भी एक जीनियस होने की पहचान है देखो मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं ना वो ऐसे ही हवा में नहीं बोल रहा हूं बल्कि मैं आपको सिर्फ वही बता रहा हूं जो सच में ये प्रूव करता है कि आप एक जीनियस इंसान लेस स्पीकर एंड मोर थिंकर का परफेक्ट एग्जांपल है अल्बर्ट आइंस्टाइन अल्बर्ट आइंस्टाइन के बारे में तो आप सबको पता है कि वो दुनिया के सबसे तेज दिमाग वाले इंसान थे लेकिन उन्होंने कभी अपने आप को ज्यादा नहीं दिखाया उनका नेचर काफी इंट्रोवर्टेड था वो कम बोलते थे और ज्यादा सोचते थे तभी तो उन्होंने अपनी रिसर्च से पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था तो अगर आप भी कम बोलते हो तो समझ लो आपके अंदर भी एक जीनियस तो बैठा है बस आपको उसे ढूंढने की जरूरत है नंबर थ्री डेडिकेशन अगर आप भी एक ऐसे इंसान हो जो या तो कोई काम करता ही नहीं है और अगर करता है तो उसे पूरी शिद्दत के साथ करता है तो कहीं ना कहीं यह क्वालिटी भी इस तरफ इशारा करती है कि आप एक जीनियस इंसान हो जब आप किसी काम को पूरे दिल से करते हो और उसमें अपनी पूरी डेडिकेशन लगा देते हो तो समझो आप एक जीनियस इंसान बनने की तरह बढ़ रहे हो इसका परफेक्ट एग्जांपल है इलोन मस्क जिसने अपने हार्ड वर्क और डेडिकेशन से साबित कर दिया कि अगर कोई इंसान किसी काम को दिल से और पूरी शिद्दत के साथ करता है ना तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे सक्सेस होने से नहीं रोक सकती है तो अब तक मैंने जो तीन क्वालिटीज बताई है ना अगर आपके अंदर ये तीनों हैं तो कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताओ हम भी तो देखें कि हमारे इस तो अब जानते हैं उस फोर्थ क्वालिटी के बारे में जो आपको जीनियस बनाती है नंबर फोर क्विक लर्नर अगर आप एक ऐसे इंसान हो जिसको कोई भी चीज सीखने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है ज्यादा दिमाग नहीं लगाना पड़ता है तो समझ लो आपके अंदर एक क्विक लर्नर माइंडसेट है और ये माइंडसेट सिर्फ उन्हीं लोगों के अंदर पाया जाता है जो सच में जीनियस होते हैं तो इसका जीता जागता उदाहरण है एलोन मस्क जब स्पेस एकस कंपनी की शुरुआत हुई थी तो पूरी दुनिया को ये समझ नहीं आ रहा था कि एक इंसान जिसने कभी रॉकेट साइंस की पढ़ाई तक नहीं किए वो रॉकेट कैसे बनाएगा किस तरह से इस दुनिया के सामने टिक पाएगा लेकिन एलोन मस्क तो जीनियस थे ना उनके अंदर था क्विक लर्नर वाला माइंडसेट और यही रीजन है कि उन्होंने खुद से सिर्फ किताबें पढ़कर पूरी रॉकेट साइंस सीख ली वो कभी रॉकेट साइंस की पढ़ाई के लिए कॉलेज नहीं गए सिर्फ खुद से सीखा और वो काम करा डाले जो काम वो कंपनी नहीं कर पाई जिन्हें गवर्नमेंट लीड करती है उन्होंने एक ऐसा रॉकेट तक बना दिया जो स्पेस में जाकर वापस आ सकता है तो अगर आप भी चीजों को बहुत जल्दी सीख जाते हो ना तो समझ लो आप एक जीनियस हो तो चलो अब जानते हैं फिफ्थ क्वालिटी के बारे में जो आपको एक जीनियस इंसान बनाती है नंबर फाइव इमोशनल इंटेलिजेंस अगर आप अपने इमोशंस को अच्छे से समझ पाते हो हर सिचुएशन में उन्हें अच्छे से कंट्रोल कर पाते हो तो कहीं ना कहीं ये क्वालिटी भी आपको एक जीनियस इंसान बनाती है और ये मैं नहीं बल्कि फेमस राइटर डेनियल गोले मन कहते हैं उन्होंने अपनी बुक इमोशनल इंटेलिजेंस में ये बताया है कि जो लोग अपने इमोशंस को ढंग से समझते हैं हर सिचुएशन में कंट्रोल कर पाते हैं और दूसरों के इमोशंस को समझने की अहमियत रखते हैं कहीं ना कहीं उन लोगों में आम लोगों से कुछ खास होता है जो उन्हें जीनियस बनाता है और ऐसे ही लोग अपनी लाइफ में ज्यादा स्टेबल और ज्यादा सक्सेसफुल होते हैं आप ओरा विनफ्रे को देख लो उन्होंने अपने इमोशनल इंटेलिजेंस को अपने करियर का हिस्सा बना लिया और बहुत बड़ी सक्सेस अचीव की ओरा ने अपने इमोशंस को समझकर और दूसरों के इमोशंस को फील करके अपनी ऑडियंस के साथ एक पावरफुल कनेक्शन बनाया तो अगर आप में भी ये क्वालिटी है तो समझ लो आप एक आम इंसान नहीं हो नंबर सिक्स अटेंशन टू डिटेल यानी हर छोटी बात पर ध्यान देना ये एक ऐसी क्वालिटी होती है जो हर जीनियस में होती है एक जीनियस कभी भी किसी भी चीज की छोटी से छोटी डिटेल को इग्नोर नहीं करता है उसका फोकस इतना सार्प होता है कि जिस चीज को लोग मिस कर देते हैं वो उसको भी तुरंत नोटिस कर लेता है और इसका परफेक्ट एग्जांपल है लियोनार्डो द विंसी की पेंटिंग्स उन्होंने अपनी पेंटिंग्स में हर एक छोटी से छोटी डिटेल को इतनी परफेक्शन के साथ बनाया है कि लोग आज भी उनकी पेंटिंग्स के दीवाने हैं और आज तक उनके जैसी पेंटिंग्स को कोई भी आर्टिस्ट नहीं बना पाया है क्योंकि उसका ध्यान उस चीज पर भी रहता था जिसे लोग मिस कर देते थे द विनसी ने अपनी पेंटिंग मोना लिसा में जो कि दुनिया की सबसे फेमस पेंटिंग है उसमें एक ऐसी स्माइल दिखाई थी जो कि पहली बार देखने पर सबको रियल लगती है उन्होंने उसकी आंखों की पोजीशन उसकी मुस्कान और उसके चेहरे के हर एक एक्सप्रेशन पर इतना ध्यान दिया था कि उनकी पेंटिंग सिर्फ एक पिक्चर नहीं बल्कि एक लिविंग एक्सप्रेशन बन गई जैसे कोई भी आर्टिस्ट साइंटिस्ट या इंजीनियर अपने काम में हर छोटी बात पर ध्यान देता है वैसे ही अगर आप भी अपनी डेली लाइफ में हर चीज की एक्यूरेसी और परफेक्शन पर ध्यान देते हैं तो ये आपको दूसरे लोग लोगों से अलग बना देता है और आपकी जीनियस वाली क्वालिटी को दिखाता है नंबर सेवन सेल्फ रिफ्लेक्शन यानी कि अपनी ही गलतियों से सीखना अगर आप दूसरों की गलतियों के साथ-साथ अपनी गलतियों को भी समझते हो उनसे सीखते हो और अपने आप को इंप्रूव करते हो तो आपका यह ग्रोथ माइंडसेट आपको जीनियस बनाता है अपनी गलतियों पर सोचना और उनसे सीखना यह आपको भीड़ से अलग बना देता है यही क्वालिटी थॉमस एलवा एडिसन के अंदर थी उन्होंने अपनी लाइफ में हजारों एक्सपेरिमेंट किए लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी क्योंकि वो फेलियर को एक फेलियर की तरह नहीं देखते थे बल्कि एक लर्निंग की तरह देखते थे हर बार उससे कुछ नया सीखते थे उनका एक फेमस कोट है कि मैं कभी फेल नहीं हुआ बल्कि मैंने 10000 ऐसे तरीके खोजे हैं जो काम नहीं करते ये था उनका माइंडसेट जो हर गलती से कुछ नया सीखता और फिर से कोशिश करता अगर हम अपनी गलतियों से सीखना शुरू कर देते हैं तो हम अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दे सकते हैं जैसे कि एडिसन ने अपनी जिंदगी को दी थी हर फेलियर से कुछ नया सीखकर और अगर आप ऑलरेडी ऐसा ही कर रहे हो तो समझ लो आप एक एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी पर्सन हो नंबर एट क्यूरियोसिटी अगर आप उस फील्ड के बारे में भी जानने की कोशिश करते हो जो फील्ड आपका नहीं है जो आपका काम नहीं है लेकिन आप फिर भी उसके बारे में जानने की कोशिश करते हो बदल बदल भाई भाई भाई मेरा भाई प्ज प्ज प्ब ता कुछ नया सीखने का ट्राई करते हो तो ये चीज भी इस बात की तरफ संकेत करती है कि आप एक जीनियस इंसान हो क्यूरियोसिटी एक ऐसा साइन है जो एक जीनियस को डिफाइन करता है जब आप किसी भी चीज के बारे में नेचुरली क्यूरियस रहते हो तो आपके दिमाग में नए-नए आइडियाज और सॉल्यूशंस खुद ब खुद आते रहते हैं एक रिसर्च कहती है कि जो लोग नेचुरली क्यूरियस होते हैं उनमें क्रिएटिविटी और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स काफी स्ट्रांग होती है जो उन्हें बाकी लोगों से अलग बनाती है अल्बर्ट आइंस्टाइन की क्यूरियोसिटी ही थी जो उन्हें थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी जैसे ग्राउंड ब्रेकिंग आइडियाज तक ले गई तो गाइज ये थे वो आ साइन जो ये दिखाते हैं कि आप एक जीनियस हो आम लोगों से अलग हो अब आप सब मुझे कमेंट बॉक्स में ये लिखकर बताना कि इन आठ क्वालिटीज में से कौन-कौन सी क्वालिटी आपके अंदर है और अगर आपके अंदर ये सारी क्वालिटीज हैं तो अगेन कांग्रेचुलेशन क्योंकि आप सच में एक जीनियस इंसान हो लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप सिर्फ इन आठ क्वालिटीज से लियोनार्डो द विंसी बन जाओगे लेकिन हां इतना तो जरूर है कि आप इस भीड़ का हिस्सा नहीं हो आपके सोचने समझने का नजरिया अलग है और आप अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा फूड़ सकते हो और इसके लिए आप हमें नेक्स्ट वीडियो में तब तक के लिए जय हिंद जय श्री कृष्णा

5) https://youtu.be/juD7FGLkeOc?si=Du-MC3O3Aom0tcHp

सब कुछ हासिल करना कौन नहीं चाहता सबसे आगे निकलने की इच्छा किसकी नहीं होती कौन नहीं चाहता कि उसके पास बेशुमार पैसा हो कौन नहीं चाहेगा कि उसको हर जगह इज्जत दी जाए आखिर किसकी इच्छा नहीं होती कि दुनिया में उसका भी नाम हो लेकिन ऐसा होता नहीं है पता है क्यों चलो इसी वीडियो का एग्जांपल देता हूं मान लो कि इस वीडियो को देखने वाले आप 100 लोग हो जिनको आज मैं पांच ऐसे रूल्स बताने वाला हूं जिन्हें फॉलो करके आप ये सब कुछ हासिल कर सकते हो लेकिन कर नहीं पाओगे ऐसा इसलिए क्योंकि इन 100 में से सिर्फ 50 लोग ही इन रूल्स को फॉलो करने के बारे में सोचेंगे और उन 50 में से भी करीब 30 लोग तो अगले दिन ही भूल जाएंगे कि हमें कुछ करना भी है और 20 लोग भी इन रूल्स को कुछ दिन फॉलो करके छोड़ चुके होंगे मुश्किल से कोई एक या दो लोग ही ऐसे होंगे जो इन्हें फॉलो करके इस मुकाम तक पहुंचेंगे तो अब आपसे मेरा एक सवाल है कि क्या आप अपनी जिंदगी बदलते हुए देखना चाहते हैं क्या आप इन पांच रूल्स को फॉलो करके खुद को प्रूव करना चाहते हैं और अगर आपका जवाब हां है तो अभी कमेंट करके बताओ और आज से एक साल बाद वापस इसी कमेंट का रिप्लाई करके खुद को प्रूव करना तो चलिए फिर शुरू करते हैं देखो ये पांच रूल्स ऐसे हैं जिनको लगभग हर सक्सेसफुल इंसान ने फॉलो किया है और शायद यही रीजन है कि आज वो काम आवे है अब मैं ये तो नहीं कहूंगा कि आप सिर्फ इन पांच रूल्स को फॉलो करने से ही एक सक्सेसफुल इंसान बन जाओगे लेकिन अगर आप इन पांच रूल्स को हर दिन फॉलो करते हो तो आप एक ना एक दिन कामयाब जरूर बन जाओगे और इसका रिजल्ट आपको एक ही साल में दिखने लग जाएगा अब देखो हमारा फ्यूचर कैसा होगा और कितना ब्राइट होगा ये इस बात पर डिपेंड करता है कि आज आप क्या कर रहे हो आज आप कैसे एक्शंस ले रहे हो तो चलिए दोस्तों जानते हैं उन पांच रूल्स के बारे में और हां इनमें से जो सेकंड रूल है ना उसे तो इस दुनिया के सबसे अमीर एंड एक्स्ट्राऑर्डिनरी पर्सन यानी कि एलन मस्क भी फॉलो करते हैं क्योंकि अगर देखा जाए तो तो वो कोई रूल नहीं है बल्कि हमारी लाइफ का एक इंपोर्टेंट पार्ट है रूल नंबर वन चूज ए इंटरेस्टिंग नीज तुम जब भी अपने फील्ड का सिलेक्शन करो तो आपको अपने करियर को बनाने के लिए किसी ऐसे फील्ड का सिलेक्शन करना है जिसमें आपका इंटरेस्ट हो जिसमें आप बिना थके और बिना बोर हुए लंबे समय तक काम कर सको जिसमें काम करने में आपको मजा आता हो आपको ऐसे फील्ड का ही सिलेक्शन करना है मेरे कहने का मतलब है कि आप जिस भी फील्ड में अपना करियर बनाना चाहते हो ना वो ऐसा होना चाहिए जिसमें काम करने में आपको मजा आए अगर उस काम को करने के आपको पैसे भी ना मिले ना तब भी आप उस काम को लंबे समय तक कुशी खुशी कर सको आपको इसी तरह का फील्ड सेलेक्ट करना है क्योंकि तभी आप उस फील्ड में लंबे समय तक टिक पाओगे किसी भी फील्ड में सक्सेस इतनी आसानी से नहीं मिलती है और अगर आप सही फील्ड का सिलेक्शन नहीं करोगे तो आप डिमोटिवेट होकर उसे छोड़ दोगे और ऐसे ही इधर-उधर भागते रहोगे तो इसलिए सबसे पहले आपको सही नीज का सिलेक्शन करना है और कौन सी नीज आपके लिए अपने करियर को बनाने के लिए सही रहेगी यह आपको अपने इंटरेस्ट के अकॉर्डिंग चूज करना है और कैसे आपको अपने इंटरेस्ट के अकॉर्डिंग सही नीज चूज करनी है इसका मैं आपको एक छोटा सा मेथड बताता हूं इसके लिए आपको एक पेन एंड पेपर लेना है और इस पेपर पर आपको वो पांच काम लिखने हैं जिनको करने में आपको मजा आता है और फिर इन पांच कामों में से आपको सिर्फ तीन को सेलेक्ट करना है और अगर आपसे इन तीनों में से सिर्फ किसी एक को सेलेक्ट करने को कहा जाए तो आप कौन सा काम करना पसंद करोगे और आप जिसे सेलेक्ट करोगे समझ लो वही आपका करियर बिल्ड करने का नीश है तो आप कुछ इस तरह से अपने इंटरेस्ट के अकॉर्डिंग अपना फील्ड सेलेक्ट कर सकते हो रूल नंबर टू इंप्रूव योरसेल्फ एवरी डे अब आपने अपने इंटरेस्ट के अकॉर्डिंग एक अच्छे फील्ड का सिलेक्शन तो कर लिया है अब जरूरत है उस फील्ड में खुद को बेहतर बनाने की हर दिन अपने आप को इंप्रूव करने की क्योंकि क्योंकि अगर आप उस फील्ड में कुछ नया नहीं सीखो ग कुछ नया नहीं जानोगे तो आप अपने कंपीटीटर्स के सामने टिक नहीं पाओगे क्योंकि इस दुनिया में एक से एक धुरंधर बैठे हैं भाई और वो कब आपके ज्ञान की धज्जियां उड़ा देंगे आपको एहसास भी नहीं होगा इसलिए अगर आप अपने फील्ड में टॉप पर जाना चाहते हो अपने फील्ड में कुछ अलग करना चाहते हो उस फील्ड में अपनी एक अलग ही पहचान बनाना चाहते हो तो आपको उस फील्ड में हर दिन कुछ नया सीखना होगा हर दिन अपने आप को इंप्रूव करना होगा तब जाकर आप उस फील्ड के बेताज बादशाह बन पाओगे इसी रूल को ना इलोन मस्क भी फॉलो करते हैं आज उस इंसान के पास शायद किसी भी चीज की कमी नहीं है क्योंकि वो सक्सेस के टॉप पर बैठा है लेकिन उसके बावजूद भी वो हर दिन अपने फील्ड में कुछ नया सीखता है कुछ नया करता है जहां पर एक सामान्य इंसान दिन के 10 से 12 घंटे काम करता है वहीं एलन मस्क इस दुनिया के सबसे रिचेस्ट पर्सन होने के बावजूद भी दिन में 16 से 17 घंटे काम करता है जो कि सप्ताह के बनते हैं 120 घंटे यानी कि अलोन मस्क 168 घंटों में से 100 से 120 घंटे सिर्फ अपने काम को दे देते हैं ताकि वो उस फील्ड में टॉप पर रह सके तो इसलिए आप भले ही कितने भी जीनियस हो कितने भी इंटेलिजेंट हो लेकिन उसके बाद भी आपको हर हर दिन अपने आप को इंप्रूव करते रहना है क्योंकि जब इस दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति दिन के 16-17 घंटे काम करता है तो हम कैसे शांत बैठ सकते हैं रूल नंबर थ्री थिंक पॉजिटिव आप चाहे किसी भी फील्ड में काम करते हो स्टूडेंट हो या फिर जॉब पर्सन आप सबको एक स्किल जरूर सीखनी चाहिए और वो है हमेशा पॉजिटिव रहने की स्किल मैंने अपने कई ऐसे फ्रेंड्स को देखा है कि वो किसी काम में मेहनत करते हैं अपना 100% देते हैं लेकिन उसके बावजूद भी जब उन्हें कोई अच्छा आउटपुट नहीं मिलता है तो वो डिमोटिवेट हो जाते हैं वो खुद से हार मान लेते हैं लेकिन आपको ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना है क्योंकि यार रिजल्ट मिलने में थोड़ा टाइम तो लगता है लेकिन रिजल्ट मिलता जरूर है आपको बस अपना काम सही से करते जाना है रिजल्ट अपने आप मिल जाएगा और आप लाइफ में चाहे कितनी भी बड़ी प्रॉब्लम में क्यों ना फंस जाओ वहां पर आपको एक बात हमेशा ध्यान रखनी है कि किसी भी हाल में खुद को टूटकर बिखरने नहीं देना है क्योंकि उस टाइम पर लोग आपकी मदद नहीं करेंगे बल्कि मजाक बनाएंगे इसलिए जो भी करना है खुद के दम पर करो और हमेशा पॉजिटिव थिंकिंग के साथ आगे बढ़ते रहो रूल नंबर फोर कंसिस्टेंसी जब भी हम किसी काम की शुरुआत करते हैं ना तो शुरुआत में हम उस काम को पूरे जोश के साथ करते हैं लेकिन कुछ टाइम बाद हम उसमें अपना 100% नहीं दे पाते हैं हम मेहनत तो करते हैं लेकिन उसमें एक फ्लो क्रिएट नहीं कर पाते हैं और जब तक आप किसी काम में फ्लो क्रिएट नहीं कर पाओगे तब तक आप उस काम को रेगुलर तरीके से नहीं कर सकते हो इसलिए शुरुआत भले ही थोड़े से करो लेकिन उस काम को हर दिन कंसिस्टेंसी के साथ करो ताकि आपका उसमें एक फ्लो क्रिएट हो जाए और जब आपका उस काम में फ्लो क्रिएट हो जाएगा ना तब वो काम आपको करना नहीं पड़ेगा बल्कि आपका ब्रेन खुद आपको ट्रिगर करेगा उस काम को करने के लिए इसलिए आपको हर दिन अपने काम को कंसिस्टेंसी के साथ करना है ताकि आपका उसमें एक फ्लो क्रिएट हो जाए उसके बाद वो काम अपने आप होने लग जाएगा क्योंकि अब आपके ब्रेन को उसकी आदत लग चुकी है जिस दिन आप उस काम को नहीं करोगे तो आपके ब्रेन को ऐसा लगेगा कि यार आज तो कुछ इंपोर्टेंट काम छूट रहा है वो आपको याद दिलाएगा कि पहले वो काम करो वो आपके लिए जरूरी है रूल नंबर फाइव नेवर गिव अप कभी भी हार मत मानो गाइस ये रूल बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है इसे मैं आपको अच्छे से डीप में समझाने वाला हूं देखो जब भी हम किसी काम की शुरुआत करते हैं तो हमारे अंदर उस काम को लेकर बहुत जोश होता है हम बिना थके उस काम को लंबे समय तक कर पाते हैं लेकिन जैसे-जैसे समय बीतने लगता है वैसे-वैसे हमारा मन उस काम से हटने लगता है हम उस काम से दूर भागने लगते हैं और एक टाइम ऐसा आता है कि जब हमारा मन उस काम में बिल्कुल भी नहीं लगता है हम उससे बोर होने लगते हैं और इस टाइम पर ही 99 पर लोग उस काम को छोड़ देते हैं और यही उनकी सबसे बड़ी गलती होती है क्योंकि हर इंसान की जिंदगी में ये टाइम जरूर आता है और यही इंसान की लाइफ का टर्निंग पॉइंट होता है बट उससे पहले ही 99 लोग उस काम को छोड़ चुके होते हैं और बाकी बचे 1 पर लोग ही पूरी कंसिस्टेंसी के साथ उस काम में लगे रहते हैं और एक दिन वही अपनी लाइफ में कुछ बहुत बड़ा फोड़ते हैं क्योंकि वह 1 पर लोग कंसिस्टेंसी के साथ उसी फील्ड में लगे रहे जबकि बाकी 99 पर लोग उस फील्ड को छोड़कर किसी दूसरे फील्ड में चले जाते हैं क्योंकि जब उन्हें इस फील्ड में कोई रिजल्ट नहीं मिला तो उन्होंने सोचा कि शायद इस फील्ड में मेरा कोई करियर नहीं है मुझे किसी दूसरे फील्ड में काम करना चाहिए शायद उस फील्ड में मैं कुछ अच्छा कर पाऊंगा लेकिन ऐसे लोग हमेशा अपनी लाइफ में भटकते ही रहते हैं उन्हें कहीं पर भी सक्सेस नहीं मिलती है उनका हाल उस धोबी के कुत्ते की तरह हो जाता है जो ना घर का रहता है और ना घाट का क्योंकि आप किसी भी फील्ड में चले जाओ इतनी जल्दी सक्सेस आपको कहीं भी नहीं मिलने वाली सक्सेस पाने के लिए आपको कंसिस्टेंसी के साथ किसी एक फील्ड में काम करना पड़ेगा तब जाकर आपको उस फील्ड में सक्सेस मिलेगी जिस टाइम पर लोग उस काम को छोड़कर जाते हैं ना अगर उस टाइम पर वो अपने आप को संभाल ले और उसी फील्ड में लगातार काम करें तो वो एक दिन उस फील्ड के एक्सपर्ट बन सकते हैं और फिर इस दुनिया की कोई भी ताकत उसे उस फील्ड में सक्सेस होने से नहीं रोक सकती तो इसलिए आपको कभी हार नहीं माननी है लाइफ में चाहे सिचुएशन कैसी भी हो लेकिन हार नहीं माननी है अपने अंदर नेवर गिव अप वाला एटीट्यूड लेकर आना है फिर देखो आपको सक्सेस कैसे नहीं मिलती है तो गाइ ये थे वो पांच रूल्स जिनको फॉलो करके आप भी अपनी लाइफ में कामयाब इंसान बन सकते हो क्योंकि इन रूल्स को हर सक्सेसफुल इंसान ने फॉलो किया है और आज वह कामयाब हैं उसके बाद भी इन रूल्स को फॉलो कर रहे हैं दोस्तों उम्मीद करूंगा कि हर बार की तरह इस बार भी आपको इस वीडियो से कुछ अच्छा सीखने को मिला होगा बाकी फिर मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में इसी तरह के एक और मोटिवेशन के साथ जय हिंद जय श्री कृष्णा

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